Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में दीपावली की सुबह की शुरुआत जहरीली हवा के साथ हुई. रविवार रात दीपावली की पूर्व संध्या पर बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े जाने के बाद सोमवार सुबह 8 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 335 तक पहुंच गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है.
खराब श्रेणी में प्रवेश कर गई वायु गुणवत्ता
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राजधानी में रविवार को औसत एक्यूआई 296 (‘खराब’) दर्ज किया गया था, जो शाम 6 बजे 300 और रात 7 बजे 302 तक पहुंच गया. इससे वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में प्रवेश कर गई. मौसम विभाग (आईएमडी) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के पूर्वानुमानों के अनुसार, अगले दो दिनों में हवा की गुणवत्ता और बिगड़ सकती है तथा ‘गंभीर’ श्रेणी में (401 से ऊपर) पहुंचने की संभावना है. स्थिर हवाएं, तापमान में गिरावट और स्थानीय प्रदूषण इसके मुख्य कारण बताए जा रहे हैं.
ग्रैप के दूसरे चरण को किया गया लागू (Delhi Air Pollution)
स्थिति को देखते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) के दूसरे चरण को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है. इसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को सख्त निगरानी और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
किन-किन चीजों की है अनुमति
ग्रैप-II के तहत लागू प्रमुख कदमों में मुख्य सड़कों पर रोजाना मैकेनिकल स्वीपिंग और पानी का छिड़काव, निर्माण स्थलों पर सख्त जांच और धूल नियंत्रण उपाय, डीजल जेनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध (केवल अस्पताल, मेट्रो, हवाईअड्डे, पानी के पंप आदि जैसी आपात सेवाओं में अनुमति), ट्रैफिक जाम कम करने के लिए भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अतिरिक्त पुलिसकर्मी, निजी वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, आरडब्ल्यूए को निर्देश कि स्टाफ को हीटर उपलब्ध कराएं ताकि बायोमास न जलाया जाए और दिल्ली में केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी या बीएस-VI मानक की डीजल बसों को ही प्रवेश की अनुमति शामिल हैं. इसके साथ ही, आम लोगों से अपील की गई है कि वे सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें, निर्माण स्थलों पर धूल कम करें और कचरा न जलाएं.
स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही
स्पष्ट किया गया है कि स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है और प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियमित समीक्षा बैठकें होंगी. पराली जलाना और वाहनों से निकलने वाला धुआं इस प्रदूषण संकट को और गहरा कर रहे हैं, जिससे सर्दियों में स्मॉग की समस्या से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता और भी बढ़ गई है.