वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया आई ड्रॉप, आंखों की देखभाल में एक नई उम्मीद, चश्मे की होगी छुट्टी!

HealthTips: आज के बदलते लाइफस्टाइल और खान-पान का असर शरीर के साथ हमारी आंखों पर भी पड रहा है. लगातार मोबाइल, लैपटॉप पर देखना भी इसका एक कारण बनता जा रहा है. टीवी के सामने घंटों बैठना, यहां तक कि और धूप की कमी से भी हमारी आंखें कमजोर हो रही हैं. पहले 40 से 45 वर्ष की उम्र में नजर कमजोर होती थी लेकिन अब पांच साल से छोटे बच्चों को भी चश्मे की जरूरत पड़ रही है.

नजर के चश्मे की कम हो सकती है जरूरत

इस बढ़ती समस्या को देखते हुए विशेषज्ञों ने एक ड्रॉप विकसित किया है. ऐसा आई ड्रॉप जिसे दिन में कुछ बार इस्तेमाल करने से आपकी दृष्टि बेहतर हो सकती है और नजर के चश्मे की जरूरत कम हो सकती है. यह ड्रॉप विशेषकर प्रेसबायोपिया यानी उम्र बढ़ने पर नजदीक की चीजें ठीक से न दिखने की समस्या के लिए वरदान साबित हो सकता है. 766 मरीजों पर किए गए अध्ययन में कुछ महीनों के उपयोग के बाद उनकी आंखों की रोशनी में सुधार देखा गया. बिना चश्मे के वे आसानी से आई टेस्ट के बोर्ड की तीन-चार लाइनें पढ़ने में सक्षम हो गए.

दिन में दो बार मरीजों को दिया गया यह ड्रॉप

इस आई ड्रॉप में पिलोकार्पिन नामक दवा होती है, जो आंखों की पुतलियों और मांसपेशियों को सिकोड़कर देखने की क्षमता को बेहतर बनाती है. साथ ही इसमें डाइक्लोफेनाक होता है जो सूजन और जलन को कम करता है. मरीजों को दिन में दो बार यह ड्रॉप दिया गया. पहली बार इस्तेमाल के एक घंटे के अंदर ही दृष्टि में सुधार देखा गया. डॉक्टरों का कहना है कि नजर के चश्मे और सर्जरी के मौजूदा विकल्पों में कई बार असुविधा और जोखिम होते हैं.

मरीजों की दृष्टि में औसतन 3.45 जैगर लाइनों का सुधार

इस नए आई ड्रॉप ने मरीजों की दृष्टि में औसतन 3.45 जैगर लाइनों का सुधार किया है और इसका असर दो साल तक बना रहता है. यह आंखों की देखभाल के क्षेत्र में एक नई उम्मीद है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह ड्रॉप सर्जरी को पूरी तरह खत्म करने का विकल्प नहीं है लेकिन उन लोगों के लिए प्रभावी है जो सुरक्षित और सरल उपाय चाहते हैं. यदि यह उपचार सभी उम्र और विभिन्न परिस्थितियों में सफल रहता है तो यह नजर के चश्मे से छुटकारा पाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.

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