Kaam Ki Baat: ब्लड शुगर के पेशेंट्स को कब छोड़नी चाहिए दवा, जानिए क्या है जानकारों की राय?

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Kaam Ki Baat: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी ने लोगों के कम उम्र में ही कई रोगों का शिकार बना दिया है. बदलते परिवेश और खानपान के कारण डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है.

दरअसल, डायबिटीज जिसे शुगर के तौर पर अमूमन जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जब खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है. हमारे शरीर की बनावट ऐसी है कि शरीर में एक निश्चित मात्रा में हर एक चीज की आवश्यकता होती है. इस स्थिति में अगर ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है तो डायबिटीज की शिकायत हो जाती है.

शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए दवाओं का सेवन करना काफी आवश्यक होता है. हालांकि, कई लोगों का सवाल होता है कि आखिर शुगर के पेशेंट्स को कब दवाओं के सेवन पर रोक लगानी चाहिए.

जानिए कितने प्रकार की होती है डायबिटीज

विज्ञान के अनुसार डायबिटीज दो प्रकार की होती है. टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज. इसमें टाइप-1 डायबिटीज वो होती है जो बचपन से ही शुरू हो जाती है. इससे बीमार व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन ही नहीं बन पाता जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ती जाती है. इसको कंट्रोल करने के लिए पीड़ित व्यक्ति को इंसुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं. वहीं, टाइप-2 डायबिटीज एक उम्र के बाद होती है. इसके होने की कुछ वजहों में से इंसुलिन का न बनना, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मोटापा और अन्य कई कारण हो सकते हैं.

किसको नहीं छोड़नी चाहिए दवा?

अगर चिकित्सकों की मानें तो डायबिटीज को कंट्रोल में रखकर ही हम स्वस्थ रह सकते हैं. डायबिटीज को जड़ से समाप्त करने की कोई दवा नहीं है. परामर्श के दौरान मिली दवा का अगर समय पर सेवन ना किया जाए तो हमारे शरीर के कई ऑर्गन प्रभावित होते हैं जिनमें हमारी आंखें, किडनी, हार्ट और ब्रेन पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.

बता दें कि हर व्यक्ति के वजन के आधार पर चिकित्सक उसको दवा प्रेसक्राइब करते हैं. शरीर के वजन के आधार पर डॉक्टर अलग-अलग दवाएं और डोज देते हैं. इस वजह से हमेशा चिकित्सक द्वारा दी गई दवाओं का ही सेवन करें. इसी के साथ नियमित रूप से शरीर का शुगर लेवल चेक करते रहें.

शरीर में डायबिटीज को कंट्रोल में रखकर ही हम कई परेशनानियों से बच सकते हैं. डायबिटीज के मरीज नियमित तौर पर दवाओं का सेवन करें. इतना ही नहीं, बिना डॉक्टरों के सलाह के दवा को ना छोड़े. डायबिटीज को सिर्फ दवाओं और लाइफस्टाइल में अनुशासन लाकर ही कंट्रोल किया जा सकता है. डायबिटीज को कभी भी जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है. जानकारों का मानना है कि अगर शरीर में शुगर लेवल 200 से अधिक बना रहता है तो कभी भी दवा नहीं छोड़ना चाहिए, इससे कई प्रकार की समस्याएं हो सकती है.

(अस्वीकरण: लेख में दी गई जानकारी सामान्य मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. लेख में गए टिप्स को फॉलो करने से पहले चिकित्सकीय परामर्श जरुर लें. ‘द प्रिंटलाइंस’ इसकी पुष्टी नहीं करता है.)

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