Sanskar Bharti Kala Sankul: नई दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित संस्कार भारती के कला संकुल में विचार और रचनात्मकता पर आधारित संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी का मुख्य फोकस कला और शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय दृष्टिकोण रहा. कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत और कथक की प्रस्तुतियों ने इसे और खास बना दिया.
कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. मुख्य अतिथि डॉ. विनोद नारायण इंदुकर, जो सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र के अध्यक्ष हैं, ने उद्घाटन किया. शुरुआत शास्त्रीय गायक साद्यांत कौशल की राग दरबारी से हुई, जिसने माहौल को सुरों से भर दिया.
कविताएं और गजलें
प्रोफेसर डॉ. रचना ने अपनी स्वरचित कविताओं से कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके बाद शायर नासिर काजिम की गजल को आवाज दी गई. “नीयत-ए-शौक़ भर न जाये कहीं, तू भी दिल से उतर न जाये कहीं.” इस प्रस्तुति ने दर्शकों को भावनाओं से जोड़ दिया.
ऊर्जा अक्षरा की प्रस्तुति
शास्त्रीय संगीत गायिका ऊर्जा अक्षरा ने शायर मुनीर नियाजी की गजल को अपने सुरों से संवारा, “आ गई याद शाम ढलते ही, बुझ गया दिल चराग़ जलते ही.” उनकी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को नई ऊंचाई दी.
कार्यक्रम में कथक की झलक
संगीत के बाद कथक नृत्य की प्रस्तुति हुई. अपर्णा सराठे और अमन पांडे ने अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. दर्शक कथक देखकर आनंदित हुए और कलाकारों ने संस्कार भारती के इस आयोजन की सराहना की.
मुख्य अतिथि का संबोधन
डॉ. विनोद नारायण इंदुकर ने भारतीय दृष्टि से कला जगत में CCRT की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि संस्थान कला, संस्कृति, गीत, संगीत और नाटक के क्षेत्र में लगातार योगदान दे रहा है. साथ ही उन्होंने कलाकारों को प्रोत्साहित किया और कला की बारीकियों पर चर्चा की.
जाहिर है, ऐसे आयोजन कला को समझने और उसे नई गति देने में अहम भूमिका निभाते हैं. विचार और रचनात्मकता पर आधारित इस संगोष्ठी के साथ शास्त्रीय संगीत और कथक की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को शिखर पर पहुंचा दिया.