INS Vikrant: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत का दौरा करेंगे. यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर की शानदार सफलता के बाद का जश्न मनाने और नौसैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए है. इस दौरे के दौरान रक्षामंत्री अरब सागर में तैनात INS विक्रांत पर नौसेना के अधिकारियों और जवानों से मुलाकात करेंगे और उनका हौसला बढ़ाएंगे. इसके साथ ही ऑपरेशन की सफलता पर चर्चा करेंगे.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में क्या थी INS विक्रांत की भूमिका?
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना ने अपने कैरियर बैटल ग्रुप के साथ उत्तरी अरब सागर में फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट किया था, जिसका नेतृत्व INS विक्रांत ने किया. इस ग्रुप में 8 से 10 वॉरशिप्स, जैसे- डिस्ट्रॉयर और स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, शामिल थे. इस तैनाती ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि अगर वह तनाव बढ़ाता है, तो भारतीय नौसेना सिर्फ उसके युद्धपोतों ही नहीं, बल्कि जमीनी ठिकानों को भी निशाना बना सकती है, जिसके परिणामस्वधरूप पाकिस्तानी नौसेना कराची नेवल बेस से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सकी और उसने सीजफायर की मांग की.
भारत की शान INS विक्रांत
दरअसल, INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जो समुद्र में भारत का सबसे ताकतवर प्रहरी है. भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने इसे डिजाइन किया है, और इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL), कोच्चि में किया गया. 20,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनें इस युद्धोपोत में 75% तक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है.
4 क्लोज-इन वेपन सिस्टम से लैस
यह एयरक्राफ्ट कैरियर 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है, जिसमें करीब 30,000 टन विशेष स्टील (DMR ग्रेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा आपूर्ति) का इस्ते0माल किया गया है. यह एक तैरता हुआ हवाई अड्डा है, जो 30 से अधिक लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है. इसके डेक पर मिग-29K फाइटर जेट्स, कामोव हेलीकॉप्टर और स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (ALH) तैनात किए जा सकते हैं.
इसके अलावा, यह चार ऑटोब्रेडा 76 mm गन और 4 क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS) से लैस है, जो दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर सकता है. इसकी उन्नत रडार और मिसाइल रक्षा प्रणाली इसे समुद्र में एक अभेद्य किले की तरह बनाती है.
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