OPS पर होगा अगले बजट सत्र से पहले फैसला, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री का बड़ा बयान आया सामने

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Deputy Chief Minister Ajit Pawar: महाराष्ट्र में विधानसभा सत्र का शीतकालीन सत्र चल रहा है. जहां एक ओर सत्र का 6वां दिन है तो दूसरी ओर आज से राज्य के सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. राज्य के सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं. इस हड़ताल का प्रभाव पूरे राज्य में देखने को मिल रहा है. छत्रपति संभाजीनगर, मुंबई, कोल्हापुर, नागपुर, नासिक समेत राज्य के सभी जिलों के सरकारी कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुए हैं.

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महाराष्ट्र में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने को लेकर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार का बयान सामने आया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए गुरुवार को कहा कि राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे ने इस बात का आश्वासन दिया है कि आगामी बजट सत्र में इस बात पर विचार किया जाएगा.

जानाकारी दें कि राज्य विधानसभा का बजट सत्र अमूमन हर साल फरवरी-मार्च में होता है. आज महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने ओपीएस की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से हुई बातचीत की जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले पर विचार करने कर रही है. कर्मचारियों की मांग पर विचार करने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट मिल गई है.

जानिए क्या है ओपीएस
दरअसल, महाराष्ट्र में अनेक सरकारी और अर्द्ध-सरकारी कर्मचारी ओपीएस की बहाली की मांग कर रहे हैं. ओल्ड पेंशन स्कीम को वर्ष 2005 में राज्य में बंद कर दिया गया था. ओपीएस के अंतर्गत सरकारी कर्मचारी को उसके अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर मासिक पेंशन मिलती थी. उस दौरान इसमें कर्मचारियों की ओर से अंशदान की जरूरत नहीं होती थी.

जानिए क्या है नई पेंशन योजना
ओल्ड पेंशन के स्थान पर केंद्र की मोदी सरकार ने नई पेंशन स्कीम योजना की शुरुआत की है. इसके तहत राज्य सरकार के कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10 प्रतिशत का अंशदान देते हैं. वहीं, इतनी ही हिस्सेदारी सरकार की ओर से होती है. जो धन जमा होता हो उसका निवेश पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत अनेक पेंशन फंड में किया जाता है और यह धन बाजार से जुड़ा होता है. इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के उप मुख्य मंत्री का कहना है कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी कर्मचारी नेताओं से बात करेंगे.

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