Kolkata: कलकत्ता हाईकोर्ट से वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय को दलबदल विरोधी कानून के तहत बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने मुकुल रॉय की पश्चिम बंगाल विधानसभा से सदस्यता रद्द कर दी है. वह भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक बनने के बाद तृणमूल (TMC) में शामिल हो गए थे. कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने मुकुल रॉय की सदस्यता रद्द कर दी, जिन्होंने 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर कृष्णानगर उत्तर सीट से जीत हासिल की थी.
अपनी मूल पार्टी में वापस चले गए मुकुल रॉय
हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के इस फैसले को भी खारिज कर दिया कि मुकुल रॉय भाजपा विधायक हैं. दरअसल, चुनावों के एक महीने के भीतर ही रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य रहे मुकुल रॉय अपनी मूल पार्टी में वापस चले गए. इसी साल अगस्त में CM ममता बनर्जी और राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में वह TMC में शामिल हो गए थे.
भाजपा ने जोरदार तरीके से उठाया मामला
इसके तत्काल बाद उन्हें लोक लेखा समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया, जो परंपरा के अनुसार विपक्षी खेमे का सदस्य होता है. भाजपा ने सदन के अंदर मुकुल रॉय के खिलाफ जोरदार तरीके से मामला उठाया. साथ ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि कांग्रेस, सीपीएम, फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और यहां तक कि समाजवादी पार्टी भी इन दलबदलुओं से प्रभावित हुई.
तृणमूल की बैठकों में शामिल हुए मुकुल रॉय
मुकुल रॉय तृणमूल की बैठकों में शामिल हुए. उन्हें तृणमूल के रंग में रंगे देखा गया, फिर भी उन्हें भाजपा विधायक कहा गया. यह अभूतपूर्व है. दलबदल विरोधी कानून को मज़ाक बना दिया गया. बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य में तृणमूल के उदय के बाद से दलबदल विरोधी कानून को बार-बार परीक्षण के दायरे में रखा गया है.
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