PM Modi के 15 अगस्त के भाषणों में आत्मनिर्भरता मुख्य विषय, 2014 से कई मुद्दों पर कर चुके संबोधित

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के अवसर पर देशवासियों को संबोधित करते हुए भारत को आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान किया. अपने भाषण में उन्होंने कहा कि भारतीय उत्पादों को न केवल वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होना चाहिए, बल्कि उनका निर्माण पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और टिकाऊ भी होना आवश्यक है. यह संदेश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के निर्णयों पर अपनी असहमति जताने और उसके परिणामस्वरूप लिए गए फैसलों की पृष्ठभूमि में और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

पीएम मोदी का ‘शून्य दोष, शून्य प्रभाव’ संदेश

हालांकि, मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषणों को देखा जाए तो यह आत्मनिर्भरता के विषय पर निरंतरता का हिस्सा हैं, जो उनके लाल किले के भाषणों में हमेशा से रहा है. 2014 में अपने पहले भाषण में पीएम मोदी ने युवा पीढ़ी से यह सवाल किया था कि भारत, अपनी क्षमता के बावजूद, क्यों छोटे-छोटे सामान भी आयात करता है. उन्होंने उस समय ‘मेड इन इंडिया’ के तहत उत्पादों की गुणवत्ता पर जोर दिया था, जिसमें “शून्य दोष और शून्य प्रभाव” को मानक के रूप में प्रस्तुत किया था. यह छह साल पहले था, जब ट्रंप की व्यापारिक कार्रवाई और आपूर्ति श्रृंखलाओं के विविधीकरण की आवश्यकता का एहसास हुआ था.

आत्मनिर्भर भारत से वोकल फॉर लोकल तक

कोविड-19 महामारी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न को और अधिक गति दी. उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ पर बल देते हुए यह संदेश दिया कि देश के अपने उत्पाद ही भारत की सच्ची ताकत हैं. मोदी ने नए सामान के निर्माण के लिए “दाम कम, दम ज्यादा” के सिद्धांत को अपनाने की अपील की. अपने शुरुआती भाषणों में उन्होंने खुद को “दिल्ली के बाहरी” व्यक्ति के रूप में पेश किया, जो पारंपरिक “एलीट वर्ग” से ताल्लुक नहीं रखते थे. उसी समय उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की, जिनमें जन धन योजना, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन और योजना आयोग के पुनर्गठन जैसी पहल शामिल थीं.

2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी प्रमुख योजनाओं की सफलता की सराहना की, जैसे कि शौचालयों का निर्माण और गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ना. अगले साल, उन्होंने “नई भारत” की अवधारणा को आगे बढ़ाया, जिसमें एक सुरक्षित, समृद्ध और मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना था. 2020 से, प्रधानमंत्री के भाषणों में राष्ट्रीय एकता और एक मजबूत राष्ट्र की दिशा में दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर अधिक जोर दिया गया. 2020 में “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” की रणनीति प्रस्तुत की गई, जबकि 2021 में ‘विकसित भारत 2047’ की रूपरेखा पर ध्यान केंद्रित किया गया.

2022 में स्वतंत्रता के 75 वर्षों के अवसर पर, प्रधानमंत्री ने ‘पंच प्रण’ की घोषणा की, जिसमें नागरिकों से एकता, विकास और उपनिवेशी मानसिकता को हटाने की शपथ लेने की अपील की. 2024 में प्रधानमंत्री के भाषण में मजबूत शासन सुधारों का उल्लेख हुआ, जिसमें मध्य वर्ग, किसान और गरीबों के लिए बड़े बदलावों की बात की गई, साथ ही समान नागरिक संहिता और ओनली वन नेशन, वन इलेक्शन (ONOE) की जरूरत पर भी जोर दिया गया. प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय एकता, और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की निरंतरता साफ दिखाई देती है, जो भारत के विकास के लिए एक ठोस रोडमैप तैयार कर रही है.

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