Reporter
The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गोकुल में नंगे पांव घूमने वाले श्रीकृष्ण कंस-वध के पश्चात एकाएक मथुरेश्वर (मथुराधिपति) बन गये। उनके चरणों में अपार ऐश्वर्य लोट रहा था, फिर भी वे अपने सुख-दुःख के साथी गोप-गोपियों को नहीं भूले।
विपत्ति में अधिक भयभीत होने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि उसी समय विश्वनाथ का स्मरण होता है और विवेक बुद्धि जागृत रहती है। किन्तु सम्पत्ति में विशेष रूप से सावधान रहना जरूरी है, क्योंकि सम्पत्ति के आते ही अहंकार का सन्निपात पैदा हो जाता है, ईश्वर की याद नहीं आती, विवेक खो जाता है और जीवन रस सूख जाता है।
अतः सन्तों ने कहा है, ‘सम्पत्ति के आने पर खूब सावधान रहो और विवेक तथा विश्वनाथ का विसर्जन न हो– इस ओर ध्यान रखो। अन्यथा सम्पत्ति विपत्ति में परिवर्तित हो जायेगी। प्रभु को हमेशा साथ में रखोगे तभी जीवन सफल बनेगा। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।