Kanpur/Lucknow: राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि ज्योतिष एक ऐसी भारतीय विधा है, जिसका पूरी दुनिया लोहा मानती है। ज्योतिष के एक एक बिन्दु का वैदिक आधार वैज्ञानिक है। ज्योतिष विज्ञान के द्वारा किया जाने वाला आंकलन शत प्रतिशत सत्य होता है। विधि के विधान को बदला नहीं जा सकता उसका केवल पूर्व आंकलन कर संकेत दिया जा सकता है। ये ऐसा विज्ञान है,जो किसी व्यक्ति को उसके जीवन के सम्बन्ध में पूर्व संकेत देता है। ये ऐसी गणना की विधा है, जिसके आगे कम्प्यूटर भी फेल है।
ज्योतिष में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है जिसके बाद अनुकूल और प्रतिकूल दिनों का पता किया जाता है। आज इसका उल्लेख भविष्य को जानने के लिए होता है। इसके द्वारा किसी व्यक्ति के जीवन पर ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव का भी अध्ययन होता है। उनका कहना था कि ज्योतिष के आंकलन सही और गलत हो सकते हैं पर भारत की परंपरा पर शंका और टिप्पणी से बचा जाना चाहिए। ये ऐसा अध्ययन पूर्ण ज्ञान है जो गलत नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में सभी दलों के प्रयासों के बाद भी उतने लोगों ने मतदान नहीं किया जितने लोग कुंभ में स्नान करने आये थे।
कुंभ में आने वाले लोग पंचाग की गणना के आधार पर पडने वाले पर्व समय को देखकर कुंभ में स्नान करने आ गये थे। भारत का ज्योतिष शास्त्र दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। अपनी कुंडली का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका राजनीति में प्रवेश भी उसी के अनुरूप हुआ जबकि राजनीति में आने की कोई मंशा नहीं थी। सांसद ने कहा कि ये विधि का विधान ही था कि माता सीता वनवासी राम की पत्नी बनी और प्रभु राम को राजतिलक के स्थान पर वनवास मिला था। काल की यात्रा निश्चित होती है। गरुड पुराण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गरुण जी एक सुन्दर पक्षी को यमराज से बचाने के लिए उसे दूर छोडकर आते हैं पर यमराज से उसे बचा नहीं पाते हैं क्योंकि उस पक्षी की मृत्यु उतनी दूर पर सर्प के काटने से तय थी।
ज्योतिष गणना भविष्य के प्रति केवल सचेत कर सकती है। ये शुचितापूर्ण जीवन का पथ प्रदर्शक है। सांसद ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र के आधार पर विवाह के लिए वर वधू की कुंडली मिलाई जाती है। विवाह पहले सात जन्म का बंधन होता था पर आज सामाजिक विकृतियों के चलते सात दिन में तलाक तक की नौबत आ जाती है। हिन्दू धर्म में तलाक की कोई व्यवस्था नहीं थी। सामाजिक विकृतियों के चलते कुछ ही दिन में सम्बन्ध विच्छेदन के साथ ही कोर्ट कचहरी की स्थिति पैदा हो जाती है। दहेज उत्पीडन में पूरे परिवार को आरोपित कर दिया जाता है। दहेज उत्पीडन नहीं होना चाहिए पर ऐसी स्थितियां पुरुषों के लिए भी विषम स्थिति पैदा कर देती है।
आज पुरुषो में इस प्रकार के प्रकरण में आत्महत्या के केस अधिक हो रहे हैं। आंकडे भी इसकी पुष्टि करते हैं। भारत की संस्कृति के साथ होने की बात करते हुए कहा कि इसमें पति अगर परमेश्वर है तो दूसरी ओर द्रौपदी के अपमान पर कौरवों की तरह राजपाट तक खोना पडता है। भारत की संस्कृति में जो सम्बन्ध इतने पावन है उसके विच्छेदन की स्थिति क्यों आ रही है ये सोचनीय विषय है। आज कुंडली मिलाकर नहीं बल्कि सोशल मीडिया आदि पर सम्बंध बन रहे हैं जो व्यवहारिकता पर आधारित है और आकांक्षाओं की अधिकता के कारण समाप्त हो जाते हैं। इस विग्रह को समाप्त करने की जिम्मेदारी ज्योतिष समाज से जुडे लोगों की है। आज ज्योतिष शास्त्र को कम्प्यूटर से भी चुनौती मिल रही है।