आत्मनिर्भर भारत की नई पहचान बन कर उभर रही उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं

Shivam
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आत्मनिर्भर भारत की नई पहचान बन कर उभर रही उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वालम्बी बनाने का संकल्प तेजी से सिद्धि की और बढ़ रहा है. मोदी -योगी की सरकार ने 10 वर्षो में उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन तहत स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 1.38 लाख महिलाओं को अपने पैरो पर खड़ा कर दिया है. वही “प्रेरणा मार्ट व आकांक्षा मार्ट” से ग्रामीण महिलाओं को नया बाजार व पहचान मिल रहा  है.
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने वाराणसी में अपने संचालन के सफलता के 10 वर्ष पूर्ण कर लिया हैं. इस अवधि में मिशन द्वारा ग्रामीण अंचलों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की गई हैं. ग्रामीण महिलाएं ड्रोन पायलट से लेकर डेयरी ,कृषि, बिजली सखी, सर्विस सेक्टर आदि सभी क्षेत्र में उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक कर रही है.
मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि एनआरएलएम के प्रारंभिक चरण में मिशन द्वारा इंटेंसिव सोशल मोबिलाइजेशन के माध्यम से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़ी महिलाओं की पहचान कर उन्हें स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा गया. वर्तमान में वाराणसी में 11,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 1.38 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं. समूहों के कुशल संचालन, निगरानी, आजीविका संवर्धन एवं वित्तीय समावेशन हेतु 840 ग्राम संगठन एवं 32 संकुल संगठन गठित किए गए हैं.
इन समूहों को रिवॉल्विंग फंड, सामुदायिक निवेश निधि एवं आजीविका निधि के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, साथ ही बैंकों से क्रेडिट लिंकेज कराकर करोड़ों रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई है. जिला मिशन प्रबंधक श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि जिले के विभिन्न संकुल संगठनों, कैडरों एवं उत्पादक महिलाओं के साथ रणनीति साझा कर स्थानीय उत्पादों के विपणन को सशक्त बनाने की योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा.

स्थानीय बाजार में “प्रेरणा” और “आकांक्षा” की नई उड़ान

उपायुक्त स्वतः रोजगार पवन कुमार सिंह ने जानकारी दिया कि जनपद के प्रत्येक विकासखण्ड के चार टाउन एरिया में “प्रेरणा मार्ट” की स्थापना की गई है, जिनकी संख्या कुल 32 है. इन मार्ट्स की औसत मासिक बिक्री ₹50,000 है। इसके अतिरिक्त जनपद स्तर पर एक “आकांक्षा मार्ट” भी स्थापित किया गया है, जहां सभी उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री की जाती है. आकांक्षा मार्ट की औसत मासिक बिक्री ₹1.5 लाख तक पहुँच चुकी है.

मार्ट्स में उपलब्ध प्रमुख उत्पाद

इन मार्ट्स में उपलब्ध प्रमुख उत्पादों में पूजा-पाठ सामग्री, लकड़ी के खिलौने, वाराणसी साड़ी एवं सूट, अरहर दाल, बेसन, वर्मी कम्पोस्ट, अचार, मुरब्बा, गोबर पेंट, फिनायल, हर्बल साबुन, नमकीन, अगरबत्ती, जूट बैग, स्टेशनरी, सरसों तेल, शहद, हैंडवाश, मिट्टी के दीये, मसाले, ड्रेस आदि शामिल हैं. मार्ट संचालन हेतु स्थानीय महिलाओं को ही प्रेरणा मार्ट संचालिका के रूप में नामित किया गया है, जिससे उनके नेतृत्व कौशल को भी बल मिल रहा है. मार्ट मे बिकने वाली वाली सामग्री का उत्पादन भी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जाता है.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी जुड़ाव

मुख्य विकास अधिकारी बताते है कि समूहों के उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग, लेबलिंग व ऑनलाइन मार्केटिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. वर्तमान में हार्पिक, फिनायल, वर्मी कम्पोस्ट, गोबर पेंट जैसे उत्पाद ऑनलाइन प्लेटफार्म (फ्लिपकार्ट ,ज़ेम पोर्टल) से जुड़ चुके हैं, जिनकी ऑनलाइन बिक्री भी की जा रही है. उपायुक्त स्वतः रोजगार ने बताया कि सरकार की  इस पहल ने वाराणसी की महिलाओं को बाजार, पहचान और आत्मनिर्भरता का ऐसा मंच प्रदान किया है, जो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रहा है, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी नई ऊँचाइयों पर पहुँचा रहा है. साथ ही प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री का आह्वाहन स्वदेशी अपनाने, वोकल फार लोकल अभियान को भी बल मिल रहा है.
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