WHO Global Summit: नई दिल्ली के भारत मंडपम में पारंपरिक चिकित्सा पर तीन दिवसीय डब्ल्यूएचओ ग्लोबल समिट का अयोजन किया गया है, जिसे शुक्रवार को पीएम मोदी संबोधित करने वाले है. यह कार्यक्रम एक वैश्विक, विज्ञान-आधारित और जन-केंद्रित पारंपरिक चिकित्सा एजेंडा को आकार देने में भारत के बढ़ते नेतृत्व और अग्रणी पहलों को रेखांकित करता है.
वहीं, इससे पहले गुरुवार को पीएमो ने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी ने रिसर्च, मानकीकरण और वैश्विक सहयोग के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा और भारतीय ज्ञान प्रणाली को मुख्यधारा में लाने पर लगातार जोर दिया है.”
पीएम मोदी कई आयुष पहलों की करेंगे शुरुआत
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री आयुष क्षेत्र के लिए एक मास्टर डिजिटल पोर्टल, मेरा आयुष एकीकृत सेवा पोर्टल (एमएआईएसपी) सहित कई महत्वपूर्ण आयुष पहलों की शुरुआत करेंगे. वह आयुष मार्क का भी अनावरण करेंगे, जिसे आयुष उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता के लिए एक वैश्विक बेंचमार्क के रूप में देखा जा रहा है.
इसके अलावा, पीएम मोदी से योग में प्रशिक्षण पर डब्ल्यूएचओ की तकनीकी रिपोर्ट और “फ्रॉम रूट्स टू ग्लोबल रीच: आयुष में परिवर्तन के 11 साल” नामक पुस्तक जारी करने की उम्मीद है.पूरी दुनिया में भारतीय आयुर्वेद की बढ़ती पहचान के प्रतीक के तौर पर, पीएम अश्वगंधा पर एक विशेष डाक टिकट जारी करेंगे.
पीएम मोदी योग के प्रचारकों को करेंगे सम्मानित
प्रधानमंत्री 2021-2025 के लिए योग के प्रचार और विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार प्राप्त करने वालों को सम्मानित करेंगे, जो योग और इसके वैश्विक प्रचार के प्रति उनके निरंतर समर्पण को मान्यता देता है.
ये पुरस्कार बताते हैं कि योग जीवन में संतुलन, अच्छी सेहत और शांति बनाए रखने का एक पुराना और बेहतरीन तरीका है, जो एक स्वस्थ और मजबूत नए भारत में योगदान देता है. इसके साथ ही, प्रधानमंत्री एक प्रदर्शनी भी देखेंगे जिसका नाम है ‘ट्रेडिशनल मेडिसिन डिस्कवरी स्पेस’. यह प्रदर्शनी दिखाती है कि भारत और दुनिया भर की पुरानी इलाज पद्धतियां कितनी प्रभावशाली हैं और आज के समय में भी वे हमारे लिए कितनी जरूरी हैं.
यह शिखर सम्मेलन, जो 17 से 19 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है, विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है. इसका विषय “संतुलन बहाल करना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास” है.
शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, स्वदेशी ज्ञान धारकों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के बीच न्यायसंगत, टिकाऊ और साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने पर गहन विचार-विमर्श हुआ.
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