By Poll: दारा सिंह चौहान या सुधाकर सिंह, कौन बनेगा घोसी का सियासी सिकंदर?

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Ghosi Bypoll 2023: उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है. 5 सितंबर को इस सीट पर वोटिंग की जानी है और इसके नतीजे 8 सितंबर को आएंगे. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर सुधाकर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, बीजेपी ने दारा सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर बीजेपी और सपा दोनों अपनी सियासी जमीन तलाशने में लगी है. ये उपचुनाव ऐसे वक्त में हो रहा है जब देश के सभी राजनीतिक दल अगले साल होने वाले लोक सभा चुनाव की तैयारी में लग गए हैं. चुनावी रणनीतिकारों का कहना है कि ये उपचुनाव भले एक सीट पर हो रहा है, लेकिन इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव लोक सभा चुनाव में यूपी की सभी सीटों पर पड़ेगा. यही कारण है कि सपा और बीजेपी दोनों दल अपने चुनावी पैतरों को काफी संयम से रख रहे हैं.

क्या रहा है घोसी का सियासी इतिहास
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के अंतर्गत आने वाली घोसी विधानसभा सीट का सियासी सफर काफी अलग रहा है. आजादी के बाद से झारखंडे राय यहां से 1968 तक इस सीट से विधायक थे. वहीं, वो विधायक के साथ मंत्री भी बने रहे. उनके बाद इस सीट से रामबिलास पाण्डेय, जफर आजमी, विक्रमा राय, केदार सिंह, फागू चौहान, सुभाष यादव, अछैबर भारती, सुधाकर सिंह, दारा सिंह चौहान आदि विधायक रहे. आपको बता दें, इस विधानसभा सीट से अभी तक सबसे ज्यादा समय तक फागू चौहान विधायक रहे हैं. वो वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल हैं. वहीं, इस सीट से सबसे कम समय तक कांग्रेस पार्टी के सुभाष यादव विधायक रहे. जो दसवीं विधानसभा में केवल 488 दिन ही विधायक रह पाए थे.

1980 में जब कल्पनाथ राय ने की थी कैंपिंग
दरअसल, 1980 के समय में मऊ आजमगढ़ जनपद का हिस्सा हुआ करता था. उस दौरान इंदिरा गांधी के बेहद करीबी कहे जाने वाले कल्पनाथ राय के कहने पर आजमगढ़ जनपद के सभी प्रत्याशियों का चयन हुआ था. घोसी विधानसभा सीट पर उस समय विक्रमा राय विधायक थे. इस दौरान कांग्रेस ने केदार सिंह को विक्रमा राय के खिलाफ अपना प्रत्याशी बनाया. इसके बाद चुनाव नजदीक आने के साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी केदार सिंह को हार का डर सताने लगा. जिसके बाद उन्होंने सीधे इंदिरा गांधी के कार्यालय को पत्र लिखा और कहा कि कल्पनाथ राय को विधान सभा में कैम्प कराया जाए वरना कांग्रेस चुनाव हार जाएगी. इस पत्र के बाद चुनाव भर कल्पनाथ राय घोसी विधानसभा में कैम्प कर के रहे. इसकी पूरी रिपोर्टिंग इंदिरा गांधी के कार्यालय को की जाती थी. इसके परिणामस्वरूप घोसी से केदार सिंह की जीत हुई थी.

जानिए घोसी का जातिगत समीकरण
घोसी का जातिगत समीकरण का ध्यान रखते हुए ही कोई भी राजनीतिक दल टिकटों का बंटवारा करता है. इस बीच अगर घोसी के जातिगत समीकरण पर प्रकाश डालें तो, ब्राम्हण 4100, राजपूत 15000, भूमिहार 48400, यादव 42000, मुसलमान 60000, दलित 62300, सिंधी 800, मुसहर 900, कुम्हार 1200, नाई 1300, लाला 1600, गोंड/खरवार 3500, खटीक 4200, दुसाध 5400, कुर्मी 5700, कोइरी 6200, निषाद 16000, लोनिया 36000, राजभर 40000, और अन्य मतदाता लगभग 70000 के करीब हैं. जो किसी भी प्रत्याशी के किस्मत का फैसला करते हैं. घोसी विधानसभा सीट पर एक तरफ पिछड़ा और सवर्ण का फैक्टर हावी है वहीं, दूसरी ओर दलित और मुसलमान का फैक्टर भी प्रभावी है. दोनों फैक्टर्स पर जो भी अपनी अच्छी पकड़ बनाता है वो इस विधानसभा का नेतृत्व करता है.

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