Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत वेदरूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है जिसमें गुठली, छिल्का जैसा कुछ त्याज्य नहीं है, केवल रस ही रस है। अतः भक्तों को यह रस जीवन भर पीते...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रस कहाँ आता है? जहाँ मन अपने आप लगता है। यदि आपको गीता का पाठ करना हो तो उतना रस नहीं मिलता, रामायण में रस नहीं मिलता लेकिन उपन्यास...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यथा स्वीकृति बिम्ब प्रतिबिम्ब(रास पञ्चाध्यायी) महारास में जैसे छोटा बच्चा शीशे में अपना चित्र देखकर नाचने लगता है। भक्तों का हृदय शीशे की तरह शुद्ध और निर्मल हो गया...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सात वर्ष की आयु में सात कोस का गोवर्धन, सात दिन के लिये अंगुली पर उठाया, तात्पर्य भजन के लिये, शरणागति के लिये, मुक्ति के लिये भी दिन सात...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री शुकदेव भगवान विगलित अण्डे के रूप में थे जैसे ही भागवत कथा रूपी अमृत का छींटा पड़ा उनके अन्दर प्राणों का संचार हुआ और वो पार्वती अम्बा के...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव में दोष होते हैं- जीवन तो प्रभु का प्रसाद है, प्रभु का वरदान है। एक संत का जन्मदिन था, तब संत ने भक्तों से कहा कि- आज मेरा...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दुःख में छिपा सुख- एक अति धनवान व्यक्ति था। युवा एवं सुन्दर शरीर उसके लिये गौरव का विषय था। अचानक वह बीमार हो गया। मृत्यु द्वार पर दस्तक देने...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मनुष्य को अपने द्वारा अपना उद्धार करना चाहिए-श्रीमद्भगवत गीता में आया है कि मनुष्य को अपने द्वारा अपना उद्धार करना चाहिए। उद्धार करने का अर्थ है ऊंचा उठना। ऊंचा...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शान्ति कैसे? हम बड़ी-बड़ी कोठी बना लेते हैं, अच्छे-अच्छे फर्नीचर बना लेते हैं, सोफासेट होता है, टी-सेट होता है, सब कुछ सेट होता है लेकिन व्यक्ति खुद अपसेट होता...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हमें केवल भगवान् की कृपा को ही देखना चाहिए-जो वस्तु अन्तःकरण से प्राप्त होती है, उसकी प्राप्ति के लिये अन्तःकरण शुद्ध करने की आवश्यकता है। परन्तु परमात्मा की प्राप्ति...