Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अम्बा पार्वती ने भगवान शंकर से प्रश्न किया ” राम कवन प्रभु पूछौं तोही ” परमात्मा निराकार हैं यह एक पक्ष है और परमात्मा साकार हैं यह दूसरा पक्ष है। परमात्मा निराकार और सरकार दोनों रूपों में है यह अन्तिम पक्ष है। श्री कबीर दास जी से किसी ने पूछा निर्गुण पक्ष ज्यादा बलवान है? या सगुण पक्ष? श्री कबीर दास जी बड़ा सुन्दर समन्वय करते हुए कहते हैं।
“निर्गुण तो है पिता हमारा, सगुण मेरी महतारी।
काको वन्दौ काको निन्दौ दोनों पल्ले भारी।।
उन्होंने कहा कि – निराकार और साकार दोनों पक्ष बलवान हैं। परमात्मा निराकार भी हैं और साकार भी हैं। उपासना की दृष्टि से निराकार की अपेक्षा सरकार ज्यादा सुगम है, सरल है। निराकार के लिए विषयों से विरक्ति आवश्यक है। जब तक मन विषयों का त्याग नहीं कर देता तब तक निराकार में मन की स्थिति ठीक बैठती नहीं और विषयों से मन का एकदम निकल जाना यह बहुत कठिन है। किन्तु सगुण साकार में आप आराम से मन लगा सकते हैं। संसार के नाम रूप लीला धाम से मन हटाकर भगवान् श्रीराम में लगाना सरल, सहज है। श्री राम पूर्ण ब्रह्म परमात्मा हैं।
धर्म का पालन करना कठिन है और धर्म का पालन किये बिना हृदय शुद्ध नहीं होगा। हृदय शुद्धि के बिना परमात्मा की ओर आपकी निष्ठा नहीं होगी। आपकी प्रवृत्ति नहीं होगी। धर्म का पालन करो। जब धर्म की हानि होने लगती है, असुर अभिमानी बढ़ने लगते हैं, ब्राह्मण, गाय और देवताओं के साथ अत्याचार बढ़ने लगता है तब प्रभु अवतार लेते हैं। धर्म की स्थापना करते हैं; दुष्टों का संहार करते हैं। लीला करते हैं। लीला जो प्रभु करते हैं उसको सुनने से क्या मिलेगा?
सोई जस गाइ भगत भव तरहीं। कृपासिंधु जनहित तनु धरहीं।।
यह जो हम सब कथा श्रवण करते हैं इससे पाप नष्ट हो जाता है। यदि हम संकल्प लेके भगवान श्री राम की पावन कथा सुनते हैं। रामायण की कथा सुनें,भागवत की कथा सुनें उससे हमारे ज्ञात- अज्ञात पाप नष्ट हो जाते हैं। हृदय शुद्ध होता है। हम भवसागर से पर हो जाते हैं। प्रभु चरित्र करते हैं भक्तों के लिए। धर्म का पालन कीजिए। भगवान राम का अवतार धर्म के लिये हुआ। इसलिए उनका नाम है- “मर्यादा पुरुषोत्तम”। मर्यादा की रक्षा। मर्यादा का ही दूसरा नाम धर्म है और धर्म को ही मर्यादा कहते हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।