Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, परमात्मा तर्क का विषय नहीं है। विज्ञान की कसौटी में ईश्वर को कसा नहीं जा सकता। नेत्र जिस दृष्टि का सहारा लेकर रूप को देखते हैं, वे नेत्र स्वयं दृष्टि को नहीं देख सकते। इसी तरह से जिस बुद्धि के द्वारा हम संसार के विषयों का निर्णय करते हैं, जिनकी शक्ति पाकर मन संकल्प विकल्प करता है, यह मन और यह बुद्धि, यह तर्क उस ईश्वर के विषय में स्वयं जानकारी नहीं रखते।
तर्क के द्वारा ईश्वर को नहीं पाया जा सकता कभी भी। हाँ – तर्क होना चाहिए। लेकिन तर्क के साथ हठ नहीं होना चाहिए। अपनी जिद् नहीं होनी चाहिए। पूर्वाग्रह को छोड़कर आप तर्क कीजिए और जो समाधान हो उस पर विश्वास कीजिए। एक बार भगवान शंकर कैलाश से नीचे उतरकर दण्डकारण्य आये। नाशिक पंचवटी के आस पास, जहां अगस्त ऋषि निवास करते थे। भगवान् शंकर ऊपर से नीचे उतर कर आये। कैलाश ऊपर है, दण्डकारण्य नीचे है। ऊपर से उतरके नीचे आये और बड़े होकर छोटे से कथा सुनने आये। यह समझने वाला विषय है।
ज्ञान वही व्यक्ति पा सकता है, भक्ति वही पाता है जो अपनी जानकारी के अभियान से नीचे उतर के आ जाता है। जिसके मन में यह अहंकार है कि मैं सब कुछ जानता हूं , वह व्यक्ति जिज्ञासु कभी नहीं बनेगा। उसे तत्त्व की प्राप्ति कभी नहीं होगी। जब आप किसी को ऊपर बैठाल देते हैं कथा सुनाने के लिये और स्वयं नीचे बैठते हैं इसका मतलब है कि आप ज्ञान पाने के अधिकारी बन जाते हैं। ज्ञान का प्रवाह ऊपर की ओर नहीं होता है। ज्ञान का प्रवाह नीचे की ओर होता है। जैसे नल को जब आप खोलते हैं तो बाल्टी नल के ऊपर नहीं रखनी होती है, नल के नीचे रखी जाती है। क्योंकि पानी का प्रवाह नीचे की ओर होता है। इसीलिये जब किसी श्रद्धेय को हम नमन करते हैं तो उसका सिर नहीं छूते हैं बल्कि पैर छुआ करते हैं।
प्रश्न है – व्यक्ति का पैर ज्यादा कीमती है, या सिर ? तो कहा जायेगा सिर। तो हम किसी श्रद्धेय का सिर क्यों नहीं छूते हैं? पैर क्यों छूते हैं? इसका भी समाधान यही है। हम किसी का सिर छुयेंगे इसका मतलब कि हम उससे बड़े है। और हम जब उसके चरण छूते हैं इसका मतलब है कि हम आपसे बहुत छोटे हैं। आपके चरणों की रज के समान है, हमें आप ज्ञान दीजिए, हमें आप आशीर्वाद दीजिए। चरणों का वन्दन करने का मतलब है कि हम अपने में दीनता प्रकट करते हैं। हम ज्ञान पाने के लिये आपके सामने झुकते हैं। भगवान शंकर ऊपर से नीचे उतर आये श्री अगस्त ऋषि के आश्रम में कथा सुनने के लिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।