भगवाँ वस्त्र पहनने वाला नहीं, बल्कि हृदय को भगवाँ बनाने वाला ही है परमहंस: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मनु और शतरूपा ने जब अपनी पुत्री देवहूति का हाथ कर्दम ऋषि के हाथ में देने की इच्छा प्रकट की तो कर्दम ने कहा, ” मैं संसार के सुखों के लिए नहीं,बल्कि पत्नी के साथ नित्य सत्संग करके आत्मसुख प्राप्त करने के लिए ही विवाह करना चाहता हूं। मुझे सांसारिक पत्नी नहीं धर्मपत्नी चाहिए।
हमारा सम्बन्ध घर संसार की प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि नाव और नाविक की तरह संसार-सागर पार करने के लिए होगा। अतः एक पुत्र की प्राप्ति के बाद में संन्यास लूंगा; क्या आपको स्वीकार्य है?” मनु – शतरूपा बड़ी उलझन में पड़े, किन्तु देवहूति ने तपस्वी की सेवा स्वीकार कर ली और बल्कल वस्त्र पहन लिए। विवाह के बाद दम्पती ने बारह वर्ष तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया और पत्नी ने पति सेवा के व्रत का निर्वाह किया।
सेवा से प्रसन्न होकर कर्दम ने पत्नी की इच्छा को पूर्ण करना चाहा तो पत्नी ने कहा, ” और दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हाथ पकड़ कर लाए हो तो हाथ पकड़ कर प्रभु के दरबार में भी पहुंचा दीजिए। ऐसे दिव्य दाम्पत्य के द्वार पर ही कपिल भगवान पुत्र रूप में पधारे।
विवाह के बारे में कैसी सुन्दर जीवन दृष्टि है। भगवाँ वस्त्र पहनने वाला नहीं बल्कि हृदय को भगवाँ बनाने वाला ही परमहंस है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना,।
Latest News

श्रीनगर: सुरक्षाबलों ने कब्रिस्तान से बरामद किया कई AK-47 और गोला-बारूद, आगे की जांच में जुटी

Srinagar: श्रीनगर से बड़ी खबर सामने आई है. यहां मंगलवार को सुरक्षाबलों के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है. सुरक्षाबलों...

More Articles Like This