Divya morari bapu

ऊँ शब्द का श्रवण करने से साधक समाधि को हो जाता है प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, नित्य नियमपूर्वक पद्मासन या सुखासन से बैठकर सीधा बैठकर नाभि में दृष्टि जमाकर जब तक पलक न पड़े तब तक एक मन से देखते रहना चाहिए। ऐसा करने से...

चित्त का विक्षेप दूर करने के लिए पांच तत्वों में से किसी एक तत्व का करना चाहिए अभ्यास: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन चाहता है सुख। जब तक इसे ईश्वर की भक्ति में सुख नहीं मिलता-तब तक विषयों में सुख ढूंढता है,इसीलिए यह विषयों में रमता है। जब अभ्यास से विषयों...

बड़ी चेष्टा, बड़ी दृढ़ता रखने पर भी मन कई बार साधक की चेष्टाओं को कर देता है व्यर्थ: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बड़ा धैर्य चाहिए, घबड़ाने, ऊबने या निराश होने से काम नहीं होगा। झाड़ू से घर साफ कर लेने पर भी जैसे धूल जमी हुई सी दिखाई पड़ती है, उसी...

धैर्ययुक्त बुद्धि से मन को परमात्मा में करें लीन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यह चंचल और अस्थिर मन जहां-जहां दौड़कर जाय वहां वहां से हटा कर बारम्बार इसे परमात्मा में ही लगाना चाहिए। मन को वश में करने का उपाय प्रारम्भ करने...

जो हिम्मत नहीं हारता, वह एक दिन मन पर प्राप्त कर लेता है विजय: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन के कहने में नहीं चलना चाहिए। जब तक मन वश में नहीं हो जाता तब तक इसे अपना परम शत्रु मानना चाहिये। जैसे शत्रु के प्रत्येक कार्य पर...

जागृत समय के सत्कार्यों के चित्र ही स्वप्न में देते हैं दिखाई: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन के कहने में नहीं चलना चाहिए। जब तक मन वश में नहीं हो जाता तब तक इसे अपना परम शत्रु मानना चाहिये। जैसे शत्रु के प्रत्येक कार्य पर...

पाँच मिनट का नियमित ध्यान अनियमित अधिक समय के ध्यान से है उत्तम: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संसार साधन में तो नियमानुवर्तिता से लाभ होता ही है, परमार्थ में भी लाभ होता है। आपने जिस ईष्ट स्वरूप के ध्यान के लिए प्रतिदिन जिस स्थान पर, जिस...

आसन, समय, ईष्ट और मंत्र का बार-बार नहीं करना चाहिए परिवर्तन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संसार साधन में तो नियमानुवर्तिता से लाभ होता ही है, परमार्थ में भी लाभ होता है। आपने जिस ईष्ट स्वरूप के ध्यान के लिए प्रतिदिन जिस स्थान पर, जिस...

मन को जीतने का एक मात्र उत्तम उपाय है वैराग्य: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, परमात्मा की प्राप्ति चाहने वालों को मन वश में करना ही पड़ेगा, इसके सिवा और कोई उपाय नहीं है। परन्तु मन स्वभाव से ही बड़ा चंचल और बलवान है,...

मानवता का मनोविज्ञान है श्रीरामकथा: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीरामकथा मानवता का मनोविज्ञान है। अपने बिखरे हुए मन को,अपनी बिखरी हुई चेतना को, किस प्रकार जोड़ सकते हैं? अखंड कर सकते हैं और अखंड की आराधना कर सकते...
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