Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आजकल लोग ऐसा मानते हैं कि वे पाप करने से ही सुखी होंगे, किन्तु यह मान्यता कितनी झूठी है? प्रभु के दरबार में क्या इतना अन्याय और अंधेरा है? हरगिज नहीं। प्रभु के राज्य में देर है, अंधेर नहीं। समय आते ही पाप का फल मिलता ही है।
तुम्हारा समय परिपक्व हो गया और उसके फलस्वरूप दुःख उमड़ पड़े हों तो हताश होने के बदले आनन्द मनाओ कि अभी पाप जल रहे हैं और पुनः पाप न करने का संकल्प करो। मन, जीभ या आँख से किसी भी प्रकार का कोई पाप न करना भी बड़ा पुण्य कार्य है। इस पुण्य की तुलना में तो यज्ञ-योग या तीर्थयात्रा का पुण्य भी नहीं आ सकता।
इसीलिए आज से दृढ़-संकल्प करो कि भविष्य में कोई पाप-कर्म करना ही नहीं है। पाप से शायद पैसा मिल जाये, किन्तु शान्ति नहीं मिलती, परमात्मा भी नहीं मिलते है। जीवन के लिए पैसा जरूरी है- यह बात तो सत्य है किन्तु पैसा साध्य नहीं, साधन है। साध्य तो जीवन की शान्ति और परमात्मा की प्राप्ति है।
हमें व्यसन का गुलाम नहीं होना। हम तो प्रभु के लाडले बनने के लिए पैदा हुए हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।