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धर्म ही हमारे देश का है प्राण: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हमें व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में कोई निर्णय लेते समय एक दुविधा निर्माण होती है कि कौन-सा निर्णय योग्य है और कौन-सा निर्णय अयोग्य है? यदि सत्य धर्म...

धर्मसार आधारित जीवन शैली ही इच्छाकु वंश का है स्थाई भाव: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रभु श्री राम और उनके परिजनों ने जो धर्माचरण किया, उसका यथार्थ ठीक से समझना होगा। धर्मशास्त्र में लिखे गये शब्दों का ही विचार करें तो श्री भरत यदि...

इस संसार में कहीं भी नहीं है भगवान श्रीराम की कथा से सुन्दर और दिव्य कथा: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, इस संसार में भगवान श्रीराम की कथा से सुन्दर और दिव्य कथा वास्तव में कहीं भी नहीं है। आठों पहर मनुष्य जिस एक रूप, एक नाम में लीन रहता...

परोपकार और प्रभु सेवा में लगे हुए हाथ ही हैं भाग्यशाली: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत प्रसादी-दो हाथ- प्रभु ने दो हाथ सत्कर्म करने के लिए दिए हैं। जो हाथ परमात्मा की सेवा नहीं करते और परोपकार में संलग्न नहीं रहते, वे मुर्दे के...

सद्गति पुत्र से नहीं, स्वयं के सत्कर्मों से होती है प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हम स्वयं ही हैं अपने उद्धारक- सद्गति पुत्र से नहीं, स्वयं के सत्कर्मों से प्राप्त होती है। पुत्र होने पर ही सद्गति प्राप्त होती है- यह बात ठीक नहीं...

जीवित होकर भी मरे हुए के समान है अपकीर्ति वाला मनुष्य: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः जेब में से रुपये गिर जायें तो हमें खूब दुःख होता है,  किन्तु यदि खोने से पूर्व ही उसका किसी दुःखी मनुष्य की आंखों के आंसू...

जो दुःख में भी प्रभु की कृपा का आस्वादन करता है, वही है उत्तम वैष्णव: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जो सुख को प्रभु की कृपा समझता है, वह साधारण वैष्णव है। किन्तु जो अति दुःख में भी प्रभु की कृपा का आस्वादन करता है, वही उत्तम वैष्णव है।...

मन को सम्पूर्ण सात्विकता से प्रभु के समीप रखना ही है जीवन की सबसे बड़ी साधना: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जगत विस्मृत हो जाए और मन प्रभु-स्मरण में जाए तो प्रभु के साथ प्रेम सम्बन्ध बँध जाता है। उपवास का अर्थ है प्रभु के उप-समीप, वास-निवास करने की प्रक्रिया।...

परमार्थ और भगवान के भजन से प्राप्त होती है अखण्ड शांति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्तजन प्रत्येक परिस्थिति को भगवान की कृपा मानते हैं। परिस्थितियां प्रारब्धजन्य हैं वह बदल नहीं सकती,  लेकिन अपनी मनःस्थिति को बदलकर हम शान्त और सुखी हो सकते हैं। उदाहरण- क्या प्रभु...

प्रत्येक परिस्थिति को प्रभु की कृपा समझता है भक्त: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अपार संपत्ति का स्वामी बनते समय या अपार संपत्ति के पहाड़ों के नीचे दबते समय शुद्ध भावना से युक्त हृदयवाला भक्त तो प्रभु की कृपा का ही अनुभव करता...
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