Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रामायण के इस भंडार में बड़े-बड़े तपस्वी उपदेश प्राप्त करते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि समग्र मानवता का कल्याण हो सकता है तो इसी ग्रंथ में बताये...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कथा सत्संग में चरित्र निर्माण होता है। यहां खेती है विचारों की, इसलिए इसे ज्ञानयज्ञ कहते हैं। नया जीवन देती है यह श्रीरामकथा। सत्य और पुण्यकर्म का फल तो...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, धर्म के नाम पर आज लड़ाई ज्यादा है। धर्म विज्ञान को नहीं समझा, इसलिए यह लड़ाई झगड़ा है। धर्म विज्ञानमय हो और विश्व के विज्ञान में धर्म हो। विज्ञान...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शास्त्र के विधान को जानकर कर्म करें। शास्त्र मर्यादा को छोड़कर जो मनमाना कर्म करता है उसे सिद्धि नहीं मिलती। इहलोक और परलोक में भी कोई सुख प्राप्त नहीं...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हमें निज धर्म पर चलना बताती रोज रामायण। सदा शुभ आचरण करना सिखाती रोज रामायण।। "धर्मो रक्षति रक्षितः" धर्म हमारी रक्षा करता है जब हम धर्म का अनुष्ठान करते...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सूक्ष्म रूप से देखा जाये तो न तो सूर्य उगता है और न सूर्य अस्त होता है। सूर्य उगने की और अस्त होने की क्रिया करता ही नहीं है। हम...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिस प्रकार सूर्योदय और सूर्यास्त व्यवहार के शब्द हैं, इसी प्रकार आत्मा के सन्दर्भ में जन्म और मृत्यु व्यवहार के शब्द है। वास्तव में आत्मा के सन्दर्भ में जन्म...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बालक की गंदगी को जल से जैसे माँ स्वच्छ करती है उसी तरह सद्गुरु भी अपने वात्सल्यरूपी जल से राग,द्वेष आदि गंदगी दूर करते हैं। माँ बालक को दूध...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज हमारा आपका महत्वपूर्ण कार्य है एकता का। अतः हमारे परिवार, समाज सबमें एकता होनी चाहिए, जिससे राष्ट्र सशक्त हो सके। इतना निश्चित है कि जैसे-जैसे देश में समाज...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रकृति के गुणों से वशीभूत होकर जीव कर्म करने के लिये मजबूर है, जब तक शरीर है, कर्म होते ही रहते हैं, कर्म से बचने का उपाय नहीं है...