America’s New Sanctions Bill: रूस पर नए प्रतिबंधों से जुड़े बिल का अमेरिकी सीनेटर और डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य रिचर्ड ब्लूमेंथल ने सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है. बता दें कि इस प्रस्तावित कानून में उन देशों पर 500% तक का टैरिफ लगाने की सिफारिश की गई है, जो रूस से तेल, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पाद खरीदते हैं. इसमें भारत भी शामिल है.
दरअसल, ब्लूमेंथल ने रोम से अपने एक वीडियो संदेश में कहा कि “मैं अभी यूरोपीय देशों के नेताओं से मिलकर लौटा हूं. उन्होंने यूक्रेन की स्वतंत्रता के समर्थन में प्रेरणादायक प्रतिबद्धता दिखाई है और अमेरिका के इस रूस प्रतिबंध बिल के लिए आभारी हैं. बता दें कि इस बिल में चीन और भारत पर ‘हड्डी तोड़’ सजा दी गई है, क्योंकि ये देश रूसी तेल खरीदकर उनकी युद्ध मशीन को ताकत दे रहे हैं.”
चिंता का कारण बना यह नया प्रस्ताव
अप्रैल में अमेरिकी सीनेट में पेश किए गए इस बिल को अब और अधिक तवज्जो मिल रही है क्योंकि अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति ने भी इसे गंभीरता से विचाराधीन बताया है, जिससे रूस को यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत की मेज पर लाया जा सके. हालांकि इस समय भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, लेकिन यह नया प्रस्ताव चिंता का कारण बन गया है.
क्यों चिंताजनक है ये बिल?
दरअसल, अनंता एस्पेन सेंटर की डिप्टी डायरेक्टर प्रेरणा बौंत्रा के मुताबिक, “यह बिल इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि अमेरिकी कांग्रेस द्वारा लगाए गए प्रतिबंध मौजूदा व्यापार समझौतों को भी मात दे सकते हैं. ऐसे में सीनेट में पेश किया गया ये बिल यदि पास हो जाता है, तो अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों के पास इसे टालने की शक्ति नहीं रह जाएगी.”
भारत के लिए लड़ाई अभी बाकी
हालांकि सीनेट में इस बिल को 84 सह-प्रायोजक मिल चुके हैं, इसके अलावा, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में इसे अब तक केवल 33 का समर्थन मिला है. भारत के लिए लड़ाई अभी बाकी है. बौंत्रा ने कहा कि हमारे राजनयिकों को उन प्रतिनिधियों से संपर्क करना होगा जो फिलहाल वॉशिंगटन में मौजूद नहीं हैं.”
अमेरिकी राष्ट्रपति के पास होगा ये अधिकार
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, यह बिल अमेरिकी राष्ट्रपति (विशेष रूप से ट्रंप यदि फिर से सत्ता में आते हैं) को अधिकार देता है कि वे चुनिंदा देशों के लिए इस बिल के प्रावधानों को छह-छह महीने की दो बार की छूट के साथ निलंबित कर सकें. वहीं, इस मुद्दे पर भारत ने भी प्रतिक्रिया दी है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि वॉशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास ने सीनेटर लिंडसे ग्राहम से संपर्क कर भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रखा है.
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