China on US sanctions: यूक्रेन-रूस जंग को लेकर अमेरिका द्वारा दो सबसे बड़ी रूसी तेल कंपनियों पर लगाए गए हालिया प्रतिबंधों का चीन ने विरोध किया है. चीन का कहना है कि इन प्रतिबंधों का “अंतर्राष्ट्रीय कानून में कोई आधार नहीं है.” बता दें कि चीन रूस का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार देश है. ऐसे में उसका कहना है कि वो युद्ध पर तटस्थ रुख अपनाता है और 2022 में यूक्रेन पर मास्को के पूर्ण आक्रमण की निंदा करने से परहेज करता है.
दरअसल, बीजिंग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नए अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर किए गए सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा, “चीन लगातार ऐसे एकतरफा प्रतिबंधों का विरोध करता है जिनका अंतर्राष्ट्रीय कानून में कोई आधार नहीं है और जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अधिकृत नहीं हैं. ”
चीनी राष्ट्रपति ने बताया यूक्रेन संकट से निपटने का तरीका
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों में पुतिन पर “बड़ा प्रभाव” डाल सकते हैं, इसपर गुओ ने कहा कि “यूक्रेन संकट से निपटने का एकमात्र व्यावहारिक तरीका बातचीत और वार्ता है.” इस बीच उन्होंने यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना की, जिनके निशाने पर चीनी कंपनियां भी थीं.
अपने हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगा चीन
उन्होंने कहा कि बीजिंग “इससे बेहद नाराज” है. चीन न तो यूक्रेन संकट का निर्माता है और न ही इसमें शामिल है. यूरोपीय पक्ष चीनी और रूसी उद्यमों के बीच सामान्य आदान-प्रदान और सहयोग के बारे में गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं है.” इसके अलावा गुओं ने ब्रुसेल्स से “चीन को मुद्दा बनाना बंद करने” का आग्रह किया और कहा कि बीजिंग “अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा.”
ट्रंप ने रूस की दो सबसे बड़ी कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध
आपको बता दें कि एक बड़े नीतिगत बदलाव के तहत, ट्रंप ने बुधवार को रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए. इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि रोसनेफ्ट और लुकोइल के साथ-साथ दर्जनों सहायक कंपनियों पर नए प्रतिबंध “यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए शांति प्रक्रिया के प्रति रूस की गंभीर प्रतिबद्धता की कमी” के कारण लगाए गए हैं.
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