Chinese President : हाल ही में बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच हुई महत्वपूर्ण बैठक ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में हड़कंप दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की. जानकारी देते हुए बता दें कि यह बैठक चीन की राजधानी बीजिंग स्थित ‘ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल’ में आयोजित हुई थी, दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात सैन्य परेड के अगले दिन हुई.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक के दौरान शी जिनपिंग ने चीन और उत्तर कोरिया के बीच ‘पारंपरिक मित्रता’ को रेखांकित करते हुए कहा कि चाहे अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां जैसी भी हों, यह मित्रता अडिग रहेगी. इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट रूप कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य चाहे जितना भी बदल जाए, चीन-उत्तर कोरिया संबंधों की दिशा और गति नहीं बदलेगी.
रणनीतिक सहयोग पर जताई सहमति
इस मामले को लेकर उत्तर कोरिया की मीडिया का कहना है कि दोनों नेताओं ने उच्च-स्तरीय यात्राओं, प्रत्यक्ष संवाद के साथ रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करने की चर्चा की और सहमति भी जताई. इतना ही नही बल्कि उन्होंने यह कहा कि दोनों देश हितों की रक्षा के लिए मिलकर कार्य करेंगे.
नए गठजोड़ से यूरोप के लिए नई चिंता
जानकारी देते हुए बता दें कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिकी दुश्मनों की हिटलिस्ट में आते हैं. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक को लेकर चीन, उत्तर कोरिया, रूस, ईरान और तुर्की के बीच मजबूत होते गठजोड़ से अमेरिका से यूरोप तक हलचल मच गई है. ऐसे में इस गठबंधन को लेकर नाटो के महासचिव मार्क रूट ने अमेरिका समेत पूरे पश्चिम और यूरोप के लिए नई चिंता और खतरा बताया है.
चीनी राष्ट्रपति, किम जोंग और पुतिन की अच्छी दोस्ती
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ समय पहले किम जोंग उन ने रूस का दौरा किया था, वहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाकात की थी. इसके तुरन्त बाद ही उन्होंने चीन में शी जिनपिंग के साथ भी महत्वपूर्ण बैठक की. बता दें कि चीन और रूस के बीच इस बैठक को रणनीतिक सहयोग को एक नई गति दी जा रही है. इसके बाद किम जोंग उन अपनी विशेष ट्रेन से उत्तर कोरिया के लिए रवाना हो गए.
इस बैठक को लेकर दोनों देशों में चिंता
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बैठक ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को सतर्क कर दिया है. इस मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का कहना है कि चीन-उत्तर कोरिया और रूस के बीच बढ़ती निकटता पश्चिमी देशों के रणनीतिक हितों के लिए चुनौती बन सकती है, विशेष रूप से उस समय जब यूक्रेन युद्ध, दक्षिण चीन सागर विवाद और कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव पहले से ही उच्च स्तर पर है.
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