Donald Trump : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी टर्म में ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को लागू करने के लिए बड़ा बदलाव हुआ है. बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने दुनिया भर के करीब 30 सीनियर करियर डिप्लोमेट्स (राजनयिकों) और राजदूतों को उनके पदों से वापस बुला लिया. मुख्य रूप से ये राजनयिक छोटे देशों में तैनात थे, जहां अमेरिकी राजदूत आमतौर पर विदेश सेवा के गैर-राजनीतिक अधिकारी होते हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह राजनयिक जो बाइडन प्रशासन के समय नियुक्त हुए थे. ऐसे में उन्हें अचानक सूचना दी गई कि वह 15-16 जनवरी 2025 तक अपने पद छोड़कर अमेरिका लौट आएं. बता दें कि अमेरिकी विदेश विभाग ने इन राजनयिकों को विदेश विभाग में नई भूमिकाएं खोजने की सलाह दी है,सबसे महत्वपूर्ण बात उन्हें नौकरी से नहीं निकाला गया है.
ट्रंप के फैसले से इन देशों पर पड़ेगा असर
बता दें कि इसका सबसे ज्यादा असर अफ्रीका पर पड़ा है, जहां 13-15 देशों से राजदूत वापस बुलाए गए हैं. एशिया में 6 देश (फिजी, लाओस, मार्शल आइलैंड्स, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस, वियतनाम), मध्य पूर्व में अल्जीरिया और मिस्र, दक्षिण एशिया में नेपाल और श्रीलंका, यूरोप में आर्मेनिया, नॉर्थ मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो, स्लोवाकिया और अन्य क्षेत्रों से भी प्रभावित हैं.
राजदूत राष्ट्रपति के व्यक्तिगत प्रतिनिधि
इस मामले को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे ‘प्रशासन में सामान्य प्रक्रिया’ बताया और कहा कि ‘राजदूत राष्ट्रपति के व्यक्तिगत प्रतिनिधि होते हैं. ऐसे में लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति का अधिकार है कि वे ऐसे लोगों को तैनात करें जो ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे को आगे बढ़ाएं.’ प्रशासन ने ये भी कहा कि यह बदलाव पहले टर्म में मिली विदेश नीति में विरोध से बचने के लिए है, ताकि ट्रंप की नीतियां आसानी से लागू हो सकें.
AFSA ने बताया अनोखा
प्राप्त जानकारी के अनुसार अमेरिकन फॉरेन सर्विस एसोसिएशन (AFSA) ने इसे अनोखा बताते हुए कहा कि विदेश सेवा के 101 साल के इतिहास में इतने बड़े पैमाने पर करियर डिप्लोमेट्स को वापस बुलाना पहली बार हुआ है. ऐसे में AFSA की प्रवक्ता निक्की गेमर का कहना है कि इस तरह से अचानक कॉल करके सूचना देना सामान्य बात नहीं है. इसकी वजह से कर्मचारियों का कॉन्फिडेंस गिर रहा है और साथ ही रिजल्ट्स प्रभावित हो रहे हैं और अमेरिका की विश्वसनीयता विदेशों में कमजोर हो रही है.
अमेरिका की वैश्विक छवि और प्रभाव को नुकसान
ऐसे में सीनेट फॉरेन रिलेशंस कमिटी की रैंकिंग मेंबर डेमोक्रेट सीनेटर जीन शाहीन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘ट्रंप योग्य, सक्षम और ईमानदार राजदूतों को हटाकर अमेरिकी लीडरशिप को चीन और रूस के हाथों में सौंप रहे हैं. इससे अमेरिका असुरक्षित, कमजोर और पिछड़ जाएगा.’ इसे लेकर विपक्षों का कहना है कि पहले से ही 80 से ज्यादा राजदूत पद खाली हैं. ऐसे में अगर अब अनुभवी करियर डिप्लोमेट्स को हटाएंगे तो अमेरिका की वैश्विक छवि और प्रभाव को नुकसान होगा.
ट्रंप की दूसरी टर्म की शुरुआत
बता दें कि यह कदम ट्रंप की दूसरी टर्म की शुरुआत में ही विदेश नीति को पूरी तरह ‘अमेरिका फर्स्ट’ बनाने की दिशा में बड़ा कदम है. इस दौरान एक्सपर्ट्स ने कहा कि इससे अमेरिकी दूतावासों में राजनीतिक वफादारी बढ़ेगी, लेकिन दूसरी ओर पारंपरिक राजनयिक विशेषज्ञता और निष्पक्षता कम हो सकती है.
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