Israel-Hamas War: इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र कर्मी के तौर पर गाजा में मानवीय मदद करने में जुटे भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कर्नल वैभव अनिल काले (Vaibhav Anil Kale) की मौत पर भारत ने गहरा दुख जताया है. बुधवार, (15 मई) को भारत ने कहा, गाजा में संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिक कर्नल वैभव अनिल काले की मौत पर उसे गहरा दुख हुआ है. विदेश मंत्रालय ने कहा, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के साथ-साथ तेल अवीव और रामल्ला में इसका दूतावास काले के पार्थिव शरीर को भारत वापस लाने में हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं.
सेवानिवृत्त कर्नल वैभव अनिल काले की मौत पर एमईए ने जताया दुख
गाजा के रफाह क्षेत्र में बीते सोमवार को वैभव काले के वाहन पर हमला हुआ था, जिसमें उनकी मौत हो गई. एमईए ने कहा, ‘‘13 मई को गाजा में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा विभाग में सुरक्षा समन्वय अधिकारी कर्नल वैभव अनिल काले (सेवानिवृत्त) की मौत से हमें गहरा दुख हुआ है.’’ एमईए ने कहा ‘‘हम उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं.’’
इजरायली हमले का शिकार हुए थे कर्नल वैभव अनिल काले
दरअसल, कर्नल वैभव अनिल काले (46) 2022 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए थे और दो महीने पहले संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा एवं संरक्षा विभाग में सुरक्षा समन्वय अधिकारी नियुक्त किए गए थे. सोमवार की सुबह सुरक्षा एवं संरक्षा विभाग के अन्य कर्मचारियों के साथ वह संयुक्त राष्ट्र के वाहन में रफह स्थित ‘यूरोपियन अस्पताल’ जा रहे थे, तभी हमले की चपेट में आ गए, जिसमें उनकी मौत हो गई. इस हमले में जोर्डन का एक अन्य DSS कर्मचारी भी घायल हो गया.
कौन हैं वैभव अनिल काले, इंदौर से क्या था नाता?
वैभव अनिल काले का नाता इंदौर से रहा है. काले ने यहां आईआईएम से पढ़ाई की थी. वह आईआईएम लखनऊ में भी पढ़ें हैं. साथ ही उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (Jawaharlal Nehru University) से बीए किया था. 46 वर्षीय वैभव अनिल काले भारतीय सेना में कर्नल के पद पर तैनात थे, काले ने वर्ष 2022 में सेवा से रिटायरमेंट ले लिया था और तीन सप्ताह पहले ही संयुक्त राष्ट्र में सिक्योरिटी कोऑर्डिनेशन ऑफिसर के रूप में कार्य शुरू किया था.
पठानकोट हमले से था कनेक्शन
टीओआई में छपी रिपोर्ट के अनुसार, पठानकोट एयरबेस पर 2016 के हुए आतंकवादी हमले को काले ने रोकने में अहम भूमिका निभाई थी. उनके करीबी दोस्त लेफ्टिनेंट कर्नल हांगे ने बताया कि काले पठानकोट हमले के समय भारतीय सेना की 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स बटालियन की कमान संभाल रहे थे. उन्होंने और उनकी यूनिट ने उस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी. कर्नल हांगे का कहना है कि वैभव काले एक खुशमिज़ाज़ इंसान थे.
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