Foxconn : वर्तमान समय में चीन के फॉक्सकॉन की सब्सिडियरी कंपनी युजहान टेक्नोलॉजी ने भारत में अपनी यूनिट से 300 चीनी इंजीनियरों को वापस बुला लिया है. जानकारी देते हुए बता कि यह पहली बार नहीं हुआ है. जब दूसरी बार चीन ने यह कदम उठाया है. ऐसे में सूत्रों ने ईटी को बताया कि यह एक ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देशों के रिश्ते धीरे-धीरे सुधर रहे हैं.
इसके पहले भी जुलाई में इस प्रकार की खबरें सामने आई थी. कि Apple की सप्लायर कंपनी Foxconn को भारत में iPhone की अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से लगभग 300 चीनी इंजीनियरों और तकनीशियनों को वापस बुलाना पड़ा. इसके साथ ही अब भारत में Yuzhan Technology की भी यूनिट से इतनी ही संख्या में इंजीनियर्स वापस बुलाए गए हैं.
इस यूनिट में खर्च हो रहे 13,180 करोड़ रुपये
प्राप्त जानकारी के अनुसार तमिलनाडु में युजहान टेक्नोलॉजी डिस्प्ले मॉड्यूल असेंबली यूनिट बना रही है. उन्होंने बताया कि इस यूनिट को बनाने में 13,180 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है. इसके साथ ही मई में स्टॉक एक्सचेंज करने की जानकारी देते हुए फॉक्सकॉन ने कहा था कि वह अपनी युजहान यूनिट में 1.5 अरब डॉलर का निवेश करेगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका की हाई टैरिफ लगाने की धमकियों के बीच वह iPhone की मैन्युफैक्चरिंग को चीन से बाहर शिफ्ट कर रही है.
फॉक्सकॉन ने सरकार को दी जानकारी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फॉक्सकॉन ने सरकार को सूचित किया है कि भारत में युजहान टेक्नोलॉजी की यूनिट में कंपोनेंट इकोसिस्टम और फैट्री लगाने के लिए लाया गया था. उन सभी चीनी प्रवासियों को वापस लाने के लिए कहा गया है. जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि कंपनी को इस बार 300 इंजीनियरों को वापस भेजना पड़ रहा है. इसके साथ ही 60 इंजीनियर्स और भारत आने वाले थे उन्हें भी मना कर दिया गया है.
इस कारण से इंजीनियर्स को वापस बुला रहा चीन
इस दौरान फॉक्सकॉन ने सरकार के साथ बातचीत करते हुए चीन की कार्रवाई के संभावित कारणों के बारे में बातचीत की, लेकिन मुख्य रूप से इसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. अनुमान लगाते हुए लोगों का कहना है कि यह तकनीक के मैन्युफैक्चरिंग में काम आने वाले एडवांस्ड उपकरणों के निर्यात को रोकने के लिए चीन की रणनीति हो सकती है.
चीन के फैसले से भारत पर नही पड़ेगा असर
उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले महीनों में आईफोन 17 को लॉन्च किया जाना है. लेकिन फॉक्सकॉन के इस फैसले से तमिलनाड़ु और कर्नाटक की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में असेंबली का काम प्रभावित हो सकता है. वहीं इस मामले को लेकर भारत का कहना है कि चीन के इस फैसले से देश में मोबाइल के उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
इन देशों के बीच देखने को मिली नरमी
जानकारी के मुताबिक, अमेरिका के लगाए गए टैरिफ के बढ़ते दबाव के बीच इन दिनों दो एशियाई देश भारत और चीन के रिश्ते में नरमी देखने को मिल रही है. बता दें कि हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने भारत का दौरा भी किया था. ऐसे में उन्होंने भारत के अपने समकक्ष एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाकात की.
दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर बनी सहमति
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मुलाकात के दौरान हुई बातचीत में दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने पर सहमति बनी. इतना ही नहीं बल्कि चीन फिर से भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट और उर्वरक की सप्लाई के लिए तैयार हुआ. ऐसे में एक बार फिर दोनों देशों के बॉर्डर के रास्ते कारोबार होने, निवेश को बढ़ावा देने और जल्द ही डायरेक्ट फ्लाइट की सर्विस फिर से शुरू करने को लेकर सहमत हुए.
इसे भी पढ़ें :- South America Earthquake: भूकंप के जोरदार झटकों से थर्राया साउथ अमेरिका, रिक्टर स्केल पर 8.0 तीव्रता दर्ज