H-1B visa changes: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा कार्यक्रम में शुल्क बढ़ाने संबंधी घोषणा को लेकर व्हाइट हाउस ने स्पष्टीकरण जारी किया है. व्हाइट हाउस के मुताबिक, यह एक ‘एकमुश्त शुल्क’ है, जो केवल नए वीजा पर लागू होता है, न कि रिन्यूअल (नवीनीकरण) या मौजूदा वीजा धारकों पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नीति कंपनियों को सिस्टम में स्पैम करने से हतोत्साहित करेगी.
कंपनियों में कम होगा धोखधड़ी का मामला
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने कहा कि “राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने का वादा किया था और यह व्यावहारिक कदम कंपनियों को सिस्टम को स्पैम करने और वेतन कम करने से हतोत्साहित करके ठीक यही करता है. उन्होंने बताया कि यह उन अमेरिकी व्यवसायों को भी निश्चितता देता है जो वास्तव में हमारे देश में उच्च-कुशल श्रमिकों को लाना चाहते हैं, लेकिन सिस्टम के दुरुपयोग के कारण उन्हें कुचला गया है.”
बता दें कि शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि प्रोत्साहन अमेरिकी कामगारों को नियुक्त करने के लिए है. हमें कामगारों की जरूरत है. हमें अच्छे कामगारों की जरूरत है और यह काफी हद तक इसकी पुष्टि करता है.”
लुटनिक ने किया ट्रंप के फैसले का बचाव
ऐसे में वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भी ट्रंप के इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ‘अब बड़ी टेक कंपनियां या अन्य बड़ी कंपनियां विदेशी कर्मचारियों को ट्रेनिंग नहीं दे पाएंगी. उन्हें पहले सरकार को 100,000 डॉलर देना होगा इसके बाद कर्मचारी की सैलरी देनी होगी. इससे यह आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं रहेगा.
लुटनिक का कहना है कि यदि ट्रेनिंग देनी है, तो अमेरिका के बेहतरीन विश्वविद्यालयों से निकले ग्रेजुएट्स को दी जाए. अमेरिकियों को नौकरियां दी जाएं, न कि विदेशियों को लाकर हमारी नौकरियां छीनी जाएं. यही हमारी नीति है और बड़ी कंपनियां इसके साथ हैं.
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