भारत रूस के बीच और भी मजबूत होगी दोस्‍ती, पुतिन आ रहे नई दिल्‍ली,रक्षा सहयोगों पर बन सकती है सहमति

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

India Russia relations: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पांच दिसंबर को भारत आने वाले हैं. इस दौरान वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ 23वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक की संयुक्त अध्यक्षता करेंगे. यह दिसंबर 2021 के बाद रूसी राष्‍ट्रपति की पहली भारत यात्रा होगी, जो रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है और यही वजह है कि दुनियाभर की निगाहें इसपर टिकी हुई है.

सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी और पुतिन की बैठक में द्विपक्षीय संबंधों के सारे आयामों की समीक्षा होगी, लेकिन द्विपक्षीय कारोबार के विस्तार देने के एजेंडे पर खास तौर पर बात होगी.बता दें कि भारत के विदेशमंत्री एस. जयशंकर भी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए सोमवार को रूस पहुंच रहें है. इस दौरान वो मॉस्को में अपने प्रवास के दौरान जयशंकर इस एजेंडे के प्रारूप पर बात करेंगे.

पुतिन की भारत यात्रा को लेकर तैयारियां जोरों पर

एस जयशंकर की यह यात्रा पुतिन के दौरे की तैयारियों पर केंद्रित रहेगी. भारत-रूस शिखर सम्मेलन में ऊर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में कई समझौते होने की संभावना है. वहीं, रूस की तरफ से भी संकेत दिया गया है कि पुतिन की भारत यात्रा को लेकर तैयारियां जोरों पर है.

रक्षा सहयोग पर हो सकती है चर्चा

मोदी-पुतिन की बैठक में एसयू-57 युद्धक विमानों की आपूर्ति (70 प्रतिशत तक तकनीकी हस्तांतरण के साथ) और एस-400 मिसाइल प्रणाली की अतिरिक्त पांच यूनिट की खरीद पर चर्चा होने की बात कही जा रही है. दरअसल, रूस इन दोनों के लिए तैयार है.  इसके अलावा एस-500 प्रणाली के संयुक्त उत्पादन, परमाणु ऊर्जा सहयोग, आर्कटिक क्षेत्र में निवेश, कृषि व्यापार और कनेक्टिविटी परियोजनाओं जैसे पूर्वी समुद्री गलियारे (व्लादिवोस्तोक-चेन्नई) को मजबूत करना भी एजेंडे में है.

भारत रूस संबंधों को दीर्घकालिन बनाने का प्रयास

रूसी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव की बैठक में द्विपक्षीय सहयोग, एससीओ, ब्रिक्स, संयुक्त राष्ट्र सुधार, जी-20 जैसे मंचों पर आपसी सहयोग पर चर्चा होगी. भारतीय विदेशमंत्री रूस में दो नए भारतीय वाणिज्य दूतावासों का भी उद्घाटन करेंगे. साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर किसी दबाव में नहीं है और इसे दीर्घकालिक बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है.

रूसी तेल का भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदार

सूत्रों के अनुसार, भारत और रूस द्विपक्षीय व्यापार को तेजी से विस्तार देने की कोशिश कर सकते है. हालांकि भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय कारोबार हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है, लेकिन यह मुख्यत: तेल-केंद्रित है. बता दें कि वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2021-22 के 13 अरब डॉलर से छह गुना अधिक है. भारत ने 2025 की पहली छमाही में रूस से 1.6 मिलियन बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन आयात किया और इस तरह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रूसी तेल का भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है.

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