Israel-Hamas War: इजरायली सेना ने सोमवार को एक बार फिर से सोमवार को गाजा पट्टी में हवाई हमला किया. इस दौरान आईडीएफ ने एक स्कूल को निशाना बनाया, जो विस्थापित लोगों के लिए होम शेल्टर के रूप में इस्तेमाल हो रहा था. बताया जा रहा है कि इस हमले में करीब 52 लोग मारे गए है, जिनमें से 31 लोग की मौत स्कूल में ही हुई है.
स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, क्षेत्र में बमबारी होने के कारण लोगों के सामान में आग लग गई, जिससे कई लोगों की जलकर मौत हो गई. वहीं, इजरायली सेना ने दावा किया है कि स्कूल से हमास के लोग काम कर रहे थे, जिसके वजह से ही स्कूल को निशाना बनाया गया है.
हमास का पूरी तरह से सफाया….
बता दें कि इजरायल ने मार्च में हमास के साथ युद्धविराम समाप्त करने के बाद गाजा में सैन्य कार्रवाई दोबारा शुरू की थी. दरअसल नेतन्याहू का कहना है कि इजरायल तब तक युद्ध जारी रखेगी, जब तक गाजा पर नियंत्रण नहीं पा लेता और हमास का पूरी तरीके से सफाया नहीं हो जाता. इजरायली पीएम ने बताया कि उनका उद्देश्य हमले में बचे 58 बंधकों को वापस लाना, जिसके लिए वह लगातार हमला कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, उन बंधकों में से केवल एक तिहाई के जिंदा होने की संभावना है, लेकिन इजरायल ने उन्हें वापस लाने का संकल्प लिया है.
मानवीय सहायता के रूप में नाम मात्र की राहत
बता दें कि करीब ढाई महीने तक पूर्ण प्रतिबंध के बाद इजरायल ने पिछले सप्ताह गाजा में सीमित मानवीय सहायता की अनुमति दी. इसमें खाद्य पदार्थ, दवाइयां और ईंधन जैसी जरूरी चीजें शामिल थीं, मगर सहायता समूहों का कहना है कि यह राहत बढ़ती ज़रूरतों के मुकाबले बेहद कम है, जिसके चलते वहां अकाल जैसी स्थिति की आशंका गहरा रही है.
विवादास्पद नई सहायता प्रणाली
इजरायल और अमेरिका के समर्थन से सोमवार से गाजा में यह नई सहायता वितरण प्रणाली शुरू होने वाली थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख NGO समूहों ने इसे अस्वीकार कर दिया है. वहीं, इस प्रयास का नेतृत्व करने वाले अमेरिकी अधिकारी ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि यह स्वतंत्र रूप से काम करने में सक्षम नहीं है.
मानवीय संकट में बदल चुकी यह लड़ाई
उन्होंने कहा कि इस हमले ने दुनियाभर में मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चिंता को फिर से जगा दिया है. इतना ही नहीं स्कूलों और आश्रयों पर हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र पहले ही कई बार चिंता जता चुका है. वहीं, बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों की मौतें इस बात का संकेत देती हैं कि यह सिर्फ दो सैन्य ताकतों की लड़ाई नहीं रही, बल्कि एक मानवीय संकट में बदल चुकी है.
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