NDA Women POP: नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से महिला कैडेट्स के पहले बैच के पासआउट होने में कुछ ही दिन बाकी है. यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा, क्योंकि पहली बार एनडीए से17 महिला कैडेट्स पासआउट होंगी. इसके साथ ही 300 से अधिक पुरुष भी एकेडमी से ग्रेजुएट होंगे.
बता दें कि 30 मई को 148वें कोर्स की पासिंग आउट परेड (POP) होगी. दरअसल, वर्ष 2021 में, यूपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद महिलाओं को डिफेंस एकेडमी में आवेदन करने की अनुमति दी थी, जिसके बाद साल 2022 में पहली बार 17 महिला कैडेट्स का बैच NDA में शामिल हुआ था.
महिला कैडेट्स से शेयर किया अनुभव
ऐसे में ही शुक्रवार को कुछ महिला कैडेट्स ने एकेडमी में अपने तीन साल के सफर का अनुभव शेयर किया. इस दौरान हरसिमरन कौर ने बताया कि वह अब भारतीय नौसेना में शामिल होंगी. उन्होंने कहा कि एनडीए में शामिल होने की मेरी प्रेरणा मेरा सैन्य करियर जल्दी शुरू करना था, क्योंकि मैं सशस्त्र बलों की पृष्ठभूमि से आती हूं. मेरे पिता भारतीय सेना में हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. मेरे दादा भी सेवा में थे, इसलिए मेरा रक्षा बलों के साथ गहरा जुड़ाव रहा है.”
रोंगटे खड़े कर देने वाला था पहला दिन
हरसिमरन कौर ने बताया कि एकेडमी में उनका पहला दिन उनके रोंगटे खड़े कर देने वाला था, क्योंकि उन्होंने एनडीए और उसके प्रतिष्ठित सूडान ब्लॉक को केवल तस्वीरों में ही देखा था. उन्होंने कहा कि “मैं सूडान ब्लॉक, अन्य इमारतों, स्क्वाड्रन और पुराने कैडेटों को मार्च करते हुए देखकर अचंभित थी. तीन साल की ट्रेनिंग में कई चुनौतियां भी थीं. उन्होंने कहा कि “एक कहावत है- अकादमी पहले आपको तोड़ती है और फिर बनाती है. यह मेरे साथ और हर कैडेट के साथ हुआ, चाहे वह पुरुष हो या महिला. कठोर शारीरिक प्रशिक्षण सत्र, अभ्यास और शैक्षणिक सभी अधिकारी-जैसी योग्यता (OLQs) विकसित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.
‘जूनियर कैडेटों के लिए तय करने होंगे ऊंचे मानक‘
कौर ने कहा कि हमारा शेड्यूल इतना व्यस्त था कि हमें अपने समय का विवेकपूर्ण प्रबंधन करना पड़ता था. कई बार, यह बहुत भारी पड़ जाता था, लेकिन अकादमी आपको शारीरिक और शैक्षणिक मांगों के बीच संतुलन बनाना सिखाती है. कौर ने कहा, “चूंकि मैं पहले बैच से हूं, इसलिए हमें जूनियर कैडेटों के लिए ऊंचे मानक तय करने होंगे. अभी मेरी सबसे बड़ी आकांक्षा यही है कि मैं ऐसा मानक तय करूं जिसका वे अनुसरण कर सकें.
उन्होंने कहा कि हमें बताया गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नई टेक्निकल विशिष्टताओं के अनुसार शैक्षणिक कार्यक्रम को फिर से तैयार किया जा रहा है. इससे हमें अपने संबंधित विंग के लिए अधिक प्रासंगिक टेक्निकल ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलेगी. अकादमी में प्रशिक्षण ने जिम्मेदारी, पहल, टीमवर्क, सौहार्द और नेतृत्व की भावना पैदा की है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला उत्साहजनक
वहीं, एक अन्य डिवीजन कैडेट कैप्टन श्रीति दक्ष ने कहा कि NDA से पास आउट होना एक गर्व का क्षण होगा. यह मेरे खून में है – मेरे पिता एक पूर्व NDA अधिकारी हैं जो भारतीय वायुसेना से रिटायर हुए हैं, और मेरी बहन भी भारतीय वायुसेना में सेवारत हैं. NDA में महिला कैडेट्स को परमिशन देने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला उत्साहजनक था. मैंने अवसर का लाभ उठाया, NDA में शामिल हुई और अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया. एकेडमी ने मुझे ढेरों मौके दिए. साथी कैडेट्स के साथ खेले गए खेलों ने हमें सौहार्द और भावना का एक मजबूत बंधन बनाने में मदद की.”
शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में मुश्किल
श्रीति दक्ष ने कहा कि पढ़ाई और शारीरिक प्रशिक्षण में संतुलन बनाना कठिन था, लेकिन उन्हें धीरे-धीरे सिखाया गया कि इसे कैसे मैनेज किया जाए. जब हम पहुंचे, तो अलग-अलग वॉशरूम और स्क्वाड्रन पहले से ही बनाए गए थे. शुरू में, हमें पुरुष कैडेट्स के साथ संबंधित स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था. ट्रेनिंग व्यवस्था काफी हद तक एक जैसी थी. हमने तीनों सालों तक कंधे से कंधा मिलाकर सब कुछ किया. एकेडमी में ट्रेनिंग मानसिक और शारीरिक रूप से मुश्किल थी, लेकिन हमने फिजिकल ट्रेनिंग और लगातार प्रैक्टिस से कर दिखाया.
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