“कोई जल्द बाजी नहीं…” तालिबान शासन को मान्यता देने से डर रहा पाकिस्तान

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Pakistan: साल 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था तो पाकिस्‍तान में खुशी की लहर थी. पाकिस्‍तान के कई नेताओं ने तालिबान के साथ भाई वाले संबंध बनाने का दावा किया था. लेकिन बीते कुछ सालों में तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों में दूरी पैदा हुई हैं और अब पाकिस्तान तालिबान को मान्यता देने से डर रहा.

कोई जल्दी नहीं है…

पाकिस्तान के अधिकारियों ने कहा है कि उसे तालिबान सरकार को मान्यता देने की कोई जल्दी नहीं है और कोई भी फैसला देश के हित को देखते हुए लिया जाएगा. दरअसल, रूस द्वारा तालिबान शासन को आधिकारिक रूप से मान्यता दिए जाने के बाद सभी की निगाहें पाकिस्तान पर टिकी थीं कि पाकिस्तान भी जल्द ही ऐसा कदम उठा सकता है.

मॉस्‍को ने पहले दिया था संकेत: पाकिस्‍तानी अधिकारी

कुछ जानकारों का मानना ​​है कि मॉस्को का फ़ैसला अन्य क्षेत्रीय देशों द्वारा तालिबान को अपनाने के लिए नजीर साबित होगा. हालांकि, पाकिस्तान के अधिकारियों ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार को बताया कि रूस का यह निर्णय कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि मॉस्को ने कुछ समय पहले ही संकेत दिया था कि वह इस तथ्य को स्वीकार करेगा कि तालिबान अब सत्ता में है और उसके पास उनके शासन को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

पाकिस्तान क्यों नहीं दे रहा मान्यता?

पाकिस्तान ने तालिबान शासन पर आरोप लगाया है कि उसने पाकिस्तान के आतंकी संगठन टीटीपी को अपनी जमीन पर पनाह दी है. हालांकि तालिबान ने इन बातों को खारिज कर दिया है. वहीं पाकिस्तान सरकार पाकिस्तान में रह रहे अफगान समुदाय के शरार्णथियों को वापस भेज रहा है, जिसको कई पक्ष अमानवीय मान रहे हैं.

इन घटनाओं के बाद से तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते बिगड़े हुए हैं. इसके अलावा पाकिस्तान को कई अंतरराष्ट्रीय समुदाय जैसे आईएमएफ के साथ अमेरिका जैसे देशों से मदद दी जाती है. ऐसे में तालिबान को मान्यता देना अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.

रूस के कदम का पड़ेगा असर

रूस का यह फैसला इस तथ्य से भी लिया गया है कि तालिबान सरकार के साथ जुड़ाव से आतंकी खतरे से निपटने और उसके भू-रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. जब एक पाकिस्तानी अधिकारी से पूछा गया कि क्या इस्लामाबाद भी तालिबान शासन को मान्यता देगा, तो उन्होंने कहा कि हम निश्चित तौर पर अपने हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेंगे.

मैं आपको बता सकता हूं कि इसमें कोई जल्दबाजी नहीं है. हालांकि, एक सूत्र ने इस संभावना से इनकार नहीं किया कि अगर अन्य क्षेत्रीय देश रूस के नक्शेकदम पर चलते हैं तो पाकिस्तान अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपना सकता है.

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