Russian Oil Import : अक्टूबर के पहले पखवाड़े में रूस से भारत के कच्चे तेल के आयात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जिससे पहले के मुताबिक, आई गिरावट का रुख पलट गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए भारतीय रिफाइनरियों के पूर्ण क्षमता से परिचालन ने इस वृद्धि को संभव बनाया है. इसके साथ ही जून में 20 लाख बैरल प्रतिदिन (BPD) के रिकॉर्ड उच्च स्तर से गिरकर सितंबर में 1.60 लाख BPD पर आने के बावजूद, अक्टूबर के प्रारंभिक आंकड़े तेज़ी से बढ़ोतरी का संकेत देते हैं.
नई छूट का असर
जानकारी देते हुए बता दें कि रूस द्वारा यूराल और अन्य ग्रेड के तेल पर दी गई नई और अधिक छूट ने भारत को शिपमेंट बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है. बता दें कि यह वृद्धि उस वक्त हुई जब ट्रंप ने 15 अक्टूबर को दावा करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने रूस से कच्चे तेल के आयात पर रोक लगाने पर सहमति जताई है. लेकिन इस दावे को भारत के विदेश मंत्री ने तुरन्त खारिज कर दिया और ऐसी किसी बातचीत की जानकारी होने से इनकार किया.
ट्रंप के बयान पर विशेषज्ञों की राय
ऐसे में ट्रंप के इस बयान को केप्लर के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रिटोलिया ने नीतिगत बदलाव के बजाय ‘व्यापारिक दबाव की रणनीति’ बताया और स्पष्ट रूप से कहा कि आर्थिक, संविदात्मक और रणनीतिक कारणों से रूस का तेल भारत की ऊर्जा जरूरतों में गहराई से जुड़ा हुआ है. इसके साथ ही भारतीय रिफाइनरियों ने भी पुष्टि की है कि उन्हें रूसी तेल आयात बंद करने का कोई सरकारी निर्देश नहीं मिला है.
जानकारी देते हुए बता दें कि रूस ने अपनी शीर्ष रैंकिंग बनाए रखी. अन्य प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं की स्थिति इस प्रकार रही:
रूस (शीर्ष पर कायम)
इराक (1.01 मिलियन BPD)
सऊदी अरब (8,30,000 BPD)
अमेरिका (6,47,000 BPD, जिसने संयुक्त अरब अमीरात को पछाड़ा)
आयात गिरावट का मुख्य कारण
इस दौरान जानकारी देते हुए रिटोलिया ने बताया कि जुलाई-सितंबर में आई गिरावट का मुख्य कारण मौसमी कारक थे, न कि टैरिफ. इसके साथ ही इस अवधि में एमआरपीएल, सीपीसीएल और बीओआरएल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरियों में रखरखाव गतिविधियों के कारण उत्पादन कम हुआ था. इसी कारण से यह गिरावट रिफाइनरियों के रखरखाव कार्यक्रम का सीधा परिणाम थी. रूसी तेल अब भारत के कुल तेल आयात का लगभग 34% है.
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