भारत खरीद सकता है पंतसीर- S1M सिस्टम, देश की हवाई सुरक्षा होगी और भी मजबूत

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Russian Pantsir Missile System : भारत लगातार अपनी एयर डिफेंस को और मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है. बता दें कि रूसी पंतसीर मिसाइल सिस्टम को S-400 की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस मामले को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को जल्द से जल्द पंतसीर-S1M सिस्टम खरीदना चाहिए, जिससे ड्रोन और क्रूज मिसाइलों से होने वाले हमलों से बचाव हो सके.

इसी साल मई में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने पंजाब के आदमपुर एयरबेस पर S-400 लॉन्चरों पर हमला किया था. फिलहाल वह अपने इस हरकत में नाकाम रहा और कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका. क्योंकि भारतीय वायुसेना ने असली S-400 बैटरियों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था. ऐसे में हमले के दौरान जो भी क्षतिग्रस्त हुए, वे डमी (नकली) थे.

चीन या अमेरिका से मिल सकती है मदद

प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, रिटायर्ड IAF पायलट और मिलिट्री एनालिस्ट विजेंदर के ठाकुर ने 29 नवंबर 2025 को प्रकाशित एक ओप-एड में लिखा कि पाकिस्तान के पास S-400 की सही लोकेशन की अप-टू-डेट इंटेलिजेंस नहीं थी. लेकिन कहा जा रहा है कि भविष्य में कभी आवश्‍यकता होती है तो चीन या अमेरिका से ऐसी मदद मिल सकती है, इसलिए S-400 की सुरक्षा जरूरी है.

पंतसीर सिस्टम क्या है

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंतसीर-S1M रूस का शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम है, जो S-400 जैसी लॉन्ग-रेंज सिस्टम की सुरक्षा करता है. बता दें कि यह एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, क्रूज मिसाइल, ड्रोन और प्रिसिजन गाइडेड मुनिशंस से बचाव करता है. ऐसे में अगर इसकी रेंज की बात करें तो इसकी-

रेंज: 20-30 किलोमीटर

ऊंचाई: 18 किलोमीटर तक

नई मिसाइलें: इसके साथ ही हेवी वारहेड (25 किलो), मिनी ड्रोन के लिए TKB-1055 ‘ग्वोज्ड’ मिसाइल लगी है. इसमें 12 मिसाइलें और दो 30mm गन (हर गन 40 राउंड प्रति सेकंड फायर कर सकती है).

अपग्रेडेड रडार: जानकारी के मुताबिक, GMLRS जैसे टारगेट को दोगुनी दूरी से डिटेक्ट करता है. बता दें कि एक व्हीकल पर मोबाइल और तीन क्रू मेंबर्स समेत सब कुछ.

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार यूक्रेन युद्ध में रूसी S-400 को पंतसीर की सुरक्षा के बावजूद यूक्रेन ने स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल और लो-फ्लाइंग ड्रोन से नुकसान पहुंचाया था. मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि NATO की इंटेलिजेंस मदद से ड्रोन पंतसीर को चकमा देकर S-400 पर हमला करते हैं.

भारत-रूस के बीच पंतसीर डील

सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह डील मेक इन इंडिया के तहत आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए है. दोनों देशों के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत लंबे समय से पंतसीर हासिल करने की कोशिश कर रहा है…

अगस्त 2020: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इज्वेस्टिया ने रिपोर्ट किया कि भारत समेत कई देशों ने पंतसिर-S1M में दिलचस्पी दिखाई.

अप्रैल 2024: इसके साथ ही रूस ने अपनी फोर्सेस के लिए पंतसीर प्रोडक्शन दोगुना करने का ऐलान किया था.

नवंबर 2024: बता दें कि भारत और रूस ने पंतसीर के कस्टमाइज्ड वेरिएंट के डेवलपमेंट और प्रोडक्शन के लिए मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) साइन किया था.

इस डील पर एक्सपर्ट्स की राय

इसे लेकर विजेंदर ठाकुर ने कहा कि भारत ने 2018 में S-400 के पांच रेजिमेंट खरीदे थे, लेकिन उन्‍होंने ये भी कहा कि पंतसीर के बिना यह फैसला गलत था. जो कि बजट की कमी से ऐसा हुआ, लेकिन अब तेजी से पंतसीर को हासिल करना चाहता है. फिलहाल वर्तमान में भारत के पास S-400 के तीन रेजिमेंट हैं और दो आने बाकी हैं. ऐसे में भारत का मानना है कि अगले संघर्ष से पहले पंतसीर जरूरी है, बता दें कि भारत का यह कदम भारत की एयर डिफेंस को लेयर्ड और मजबूत बनाएगा.

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