S Jaishankar: पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएई के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नहयान से बात की. इसकी जानकारी विदेश मंत्री ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया ‘एक्स’ हैंडल पर एक पोस्ट के जरिए दी है.
उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि पश्चिम एशिया में वर्तमान स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण और अस्थिर है, जो मुख्य रूप से इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष के कारण है. यह क्षेत्र पहले से ही लेबनान, गाजा और यमन में चल रहे संघर्षों से प्रभावित था, लेकिन हाल में इजरायल-ईरान तनाव ने स्थिति को और जटिल कर दिया है.
क्या है इजरायली हमले का मकसद?
दरअसल, 12 जून को इजरायल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान पर बड़े हवाई हमले किए थे, जिसमें तेहरान, इस्फहान और खोर में सैन्य ठिकानों, हवाई रक्षा प्रणालियों और कथित न्यूक्लियर प्लांट्स को निशाना बनाया गया. इस दौरान इजरायल ने दावा किया था कि उसके हमले का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था, जिसे वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मानता है.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की मई 2025 की रिपोर्ट में ईरान पर 60 फीसद से अधिक संवर्धित यूरेनियम जमा करने और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था, जिसने इजरायल को हमले की औपचारिक “वैधता” प्रदान की.
ईरान ने इजरायल पर दागें 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल
इजरायल की ओर से किए गए इस हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी, जैसे मेजर जनरल हुसैन बघेरी और रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर हुसैन सलामी, मारे गए. इसके जवाब में, ईरान ने को “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III” शुरू किया, जिसमें इजरायल पर 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन दागे गए. इन हमलों ने तेल अवीव और हाइफा में महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाया.
2024 में शुरू हुआ था तनाव
बता दें कि दोनों देशों के बीच यह तनाव साल 2024 में शुरू हुआ था, जब इजरायल ने दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला किया था, जिसमें कई ईरानी राजनयिक मारे गए थे. इन हमलों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया, तेल की कीमतों में 6-7 प्रतिशत की वृद्धि हुई और शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई. मौजूदा समय में इस क्षेत्र में पूर्ण युद्ध की आशंका बढ़ गई है, जिसके कारण भारत, यूएई और अन्य देश कूटनीतिक हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं.
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