क्या है चीन का ‘साल्ट टाइफून’, जो अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप-कमला समेत कई नेताओं को बना रहा टारगेट?

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Salt Typhoon: अमेरिका चुनाव में हैकर्स का मुद्दा कोई नई बात नहीं हैं. अमेरिका में चुनावी हलचलों के बीच लगातार इस बात की चर्चा हो रही है कि देश में होने वाले राष्‍ट्रपति चुनाव में विदेशी ताकतें सेंध लगाने का प्रयास कर रही है. ऐसे में ही कथित तौर पर चीनी समूह ‘साल्‍ट टाइफून’ पर यह आरोप लगाया गया है वो राष्‍ट्रपति चुनाव को हैक करने और डेटा चुराने का साजिश कर रहा है.

वहीं, हाल ही में चीनी हैकरों ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके साथी जेडी वेंस सहित अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के संचार उपकरणों को निशाना बनाया है. एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, साल्‍ट टाइफून ने कम्यूनिकेशन नेटवर्क में घुसपैठ की और संभवतः वेरिज़ोन के साथ-साथ प्रमुख सर्विसेस के जरूरी डेटा को चुराने का प्रयास किया.

क्या चीन ने जुटाई खुफिया जानकारी?

बता दें कि अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव होने में अब कुछ ही समय बाकी है, ऐसे में चुनाव की जानकारियों का लीक होना अमेरिका साइबर सुरक्षा पर कड़े सवाल उठा रहा है. हालांकि इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रंप अभियान यह आरोप लगा चुका है कि रूस और ईरान चुनावों में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, हाल ही में वेरिजॉन के बुनियादी ढांचे पर हमला चीन के अमेरिका चुनाव में खुफिया जानकारी जुटाने के प्रयासों का हिस्‍सा माना जा रहा है. फिलहाल, ये स्‍पष्‍ट नहीं हो सका है कि हैकर्स घुसपैठ के दौरान डेटा प्राप्‍त करने में कामयाब हुए या नहीं.

साल्ट टाइफून कौन है?

दरअसल, ‘साल्ट टाइफून’ समूह को चीनी सरकार की ओर से मदद प्राप्‍त हैकर्स ग्रुप माना जाता है. इस समूह को साल्ट टाइफून का नाम माइक्रोसॉफ्ट की साइबर सुरक्षा टीम की ओर से दिया गया है. माइक्रोसॉफ्ट चीनी हैकर समूहों की तुलना ‘टाइफून’ शब्द से करता है, जबकि ईरान के लिए ये शब्द ‘सैंडस्टॉर्म’ और रूसी साइबर हैकर्स के लिए ‘ब्लिज़र्ड’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, सॉल्ट शब्द कॉर्पोरेट डेटा चोरी या वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े पारंपरिक साइबर अपराध के बजाय काउंटर इंटेलिजेंस पर समूह के विशेष ध्यान को दिखाता है.

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