SCO Summit : सात साल बाद पीएम मोदी चीन की यात्रा पर गए है. जानकारी देते हुए बता दें कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच करीब 40 मिनट की द्विपक्षीय बैठक में आपसी सहयोग को बेहतर बनाने के उपायों पर होगी चर्चा. इसके साथ दोनों देशों के बीच हुए गलवान युद्ध और ट्रंप के टैरिफ के बाद बदले हुए हालात में यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है.
इस दौरान शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मंच पर आज पीएम मोदी, शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी उनके साथ मौजूद होंगे. बता दें कि इनके बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पूरी दूनिया की नजर उन पर टिकी होंगी. ऐसे में ये तीनों महाशक्तियों की मुलाकात ट्रंप की धड़कनें बढ़ा देंगी.
वर्ल्ड लीडर के तौर पर उभरेगा चीन
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह शिखर सम्मेलन की सफलता बीजिंग को एक ऐसे वर्ल्ड लीडर के रूप में सामने ला सकती है जो पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाली संस्थाओं को चुनौती दे सके. चीनी अधिकारियों ने अब तक का इसे सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन बताया है. जानकारी देते हुए बता दें कि इस कूटनीति ने शी जिनपिंग के लिए अपने देश को एक स्थिर और शक्तिशाली वैकल्पिक नेता के रूप में पेश करने का मंच तैयार किया है.
सुर्खियों में चल रहे पुतिन
तीनों नेताओं के बीच हो रही यह शिखर सम्मेलन रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में ला दिया है. क्योंकि हाल ही में अलास्का में ट्रंप के साथ रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने मुलाकात की थी और उसी मुलाकात के ठीक दो हफ़्ते बाद यह सम्मेलन हो रहा है. इसके साथ ही पहले से ही रूस यूक्रेन में अपने हमले को रोकने के अंतरराष्ट्रीय दबाव को भी नजरअंदाज कर रहा है. बता दें कि इस हफ़्ते की शुरुआत में रूसी सेना ने अपने पड़ोसी पर पूर्ण आक्रमण के बाद दूसरा सबसे बड़ा हवाई हमला किया था.
पीएम मोदी पर दुनिया की नजरें
ऐसे में इस सम्मेलन को लेकर पीएम मोदी की बात करें तो दुनिया की नजर ज्यादा पीएम मोदी पर ही होगी. इसका मुख्य कारण यह है कि भारत पर अमेरिका द्वारा कड़ा टैरिफ लगाने के बाद पीएम मोदी पहली बार दुनिया के किसी बड़े मंच पर होंगे.
अपने मजबूत इरादों का संकेत दे चुका भारत
बता दें कि ट्रंप के इतने कड़े टैरिफ लगाने के बाद भी घुटने नहीं टेककर वे अपने मजबूत इरादों को संकेत दे चुके हैं. इसलिए वर्तमान समय में पुतिन और जिनपिंग से उनकी मुलाकात से ट्रंप की नींदें उड़ सकती हैं. इस दौरान अमेरिका के सामने भारत, रूस और चीन ये तीनों महाशक्तियां इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं. इसके साथ ही पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान कई अहम मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.
- ट्रंप की टैरिफ ब्लैकमेलिंग
- भारत और चीन के बीच व्यापार पर जोर
- भारत के लिए चीन का बाजार खोलना
- पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद
- एशिया में अमेरिकी दबदबे को कम करना
पीएम मोदी-राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय बातचीत
जानकारी देते हुए बता दें कि पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय बातचीत होगी. इस दौरान 40 मिनट तक होनी वाली इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी और दिसंबर में पुतिन के भारत दौरे का एजेंडा तय होगा. इतना ही नही बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर भी दोनों नेताओं में बात हो सकती है.
ट्रंप के लिए बढ़ने वाली चुनौती
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि भारत के साथ ट्रैरिफ दादागीरी करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ये बहुत चुभने वाला है कि ट्रंप के टैरिफ के आगे न झुककर उनको टक्कर देने के लिए भारत कैसे कूटनीतिक जाल बिछा रहा है, और भारत कैसे अमेरिका के व्यापारिक वर्चस्व को कम करने के लिए नए रास्ते तलाश रहा है, भारत की कूटनीतिक ताकत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है. क्योंकि कल तक जो चीन भारत को लाल आंख दिखाता था. आज वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लीडर के लिए लाल कारपेट बिछाए खड़ा है.
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