क्यूबा के राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री पर अमेरिका का बड़ा एक्शन, मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर लगाया वीजा प्रतिबंध

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

US: अमेरिका ने क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कैनेल और अन्य शीर्ष नेताओं व कई अधिकारियों पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप में प्रतिबंध लगा दिए हैं. साथ ही उनकी अमेरिकी वीजा तक पहुंच को भी सीमित कर दिया है. अमेरिका द्वारा यह कदम जुलाई 2021 में हुए क्यूबा के बड़े विरोध प्रदर्शनों की वर्षगांठ पर उठाया गया है.

दरअसल, जुलाई 2021 में क्यूबा के कई शहरों में बिजली कटौती, भोजन की कमी और आर्थिक संकट को लेकर आम लोगों ने सड़क पर उतरकर विरोध किया था. खास बात ये है कि ये विरोध प्रदर्शन किसी विपक्षी पार्टी के नेतृत्व में नहीं, बल्कि स्वतंत्र रूप से शुरू हुए थे, जिन्‍हें क्‍यूबा सरकार ने सख्‍ती से दबा दिए थें. वहीं, इस प्रदर्शन के दौरान एक लोग की मौत भी हुई थी, जबकि सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था.

बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा तानाशाही

इस मामले को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक्स पर अपने एक पोस्ट में कहा कि हम उन न्यायिक और जेल अधिकारियों पर भी वीजा प्रतिबंध लगा रहे हैं, जो जुलाई 2021 के प्रदर्शनकारियों की अन्यायपूर्ण हिरासत और यातना में शामिल या सहायक रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि अमेरिका, क्यूबा के लोगों के मानवाधिकार और स्वतंत्रता के लिए खड़ा है और वह यह स्पष्ट करना चाहता है कि इस क्षेत्र में तानाशाही शासन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

किन-किन अधिकारियों पर लगा प्रतिबंध?

मार्को रुबियो के अनुसार, प्रतिबंधित अधिकारियों में क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कैनेल, रक्षा मंत्री आल्वारो लोपेज मिएरा और गृह मंत्री लाजारो अल्वारेज कासास शामिल है. इन तीनों नेताओं पर मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं. वहीं, क्‍यूबा ने भी अमेरिका के इस कदम पर प्रतिक्रिया दी है.

जोहाना टब्लादा ने की अमेरिका के इस कदम की निंदा

क्यूबा के विदेश मंत्रालय अमेरिकी विभाग की डिप्टी डायरेक्टर जोहाना टब्लादा ने अमेरिकी कदम की निंदा करते हुए रुबियो को नरसंहार, जेलों और सामूहिक निर्वासन का समर्थक बताया. बता दें कि क्यूबा के अभियोजकों ने साल 2022 में बताया था कि 790 लोगों की जांच की जा रही है. मानवाधिकार समूह 11J के मुताबिक, 2023 के अंत तक 554 लोग इन प्रदर्शनों के मामले में सजा काट रहे थे. लेकिन पोप फ्रांसिस की अपील पर जनवरी में कुछ को सशर्त रिहाई दी गई.

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