US-China Tariff War : वर्तमान में अमेरिका और चीन के बीच फिर से व्यापारिक तनाव बढ़ गया है और इसका मुख्य कारण अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए जाने वाले अतिरिक्त टैरिफ हैं. हाल ही में ट्रंप ने घोषणा किया था कि 1 नवंबर से चीन पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लागू होगा. इसके साथ ही इससे पहले अमेरिका ने चीन से आयातित सामान पर 30% टैरिफ लगा रखा था. बता दें कि वर्तमान में चीन पर कुल 130% टैरिफ का बोझ है.
इस मामले को लेकर अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यह कदम अमेरिका की घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए उठाया गया है. वहीं दूसरी तरफ, चीन ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता है. जानकारी देते हुए बता दें कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी है और इनके बीच टकराव का असर वैश्विक बाजारों पर भी पड़ता है.
अगले हफ्ते बातचीत की संभावना
ऐसे में इसे लेकर अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने जानकारी दी है कि अगले हफ्ते अमेरिका और चीन के बीच बातचीत होगी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में बेसेन्ट चीन के डिप्टी प्रधानमंत्री हे लीफेंग से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों को व्यापारिक तनाव और इससे होने वाले वैश्विक आर्थिक नुकसान से बचाना है.
टैरिफ के साथ इन मुद्दों पर भी बातचीत
इस बैठक को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह बैठक सिर्फ टैरिफ दरों के मुद्दे पर नहीं होगी. बल्कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे व्यापारिक असंतुलन और आर्थिक सहयोग के मुद्दों पर भी चर्चा होगी. इस दौरान अगर बैठक सकारात्मक होती है, तो वैश्विक बाजारों को भी इससे राहत मिल सकती है.
टैरिफ का इन देशों पर भी पड़ रहा प्रभाव
बता दें कि टैरिफ वॉर का असर केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है. इसकी वजह से और कई देशों के कंपनियों, निवेशकों और उपभोक्ताओं पर भी दबाव पड़ता है. इसके साथ ही चीन से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल जैसे उत्पाद महंगे हो जाएंगे. तना ही नही बल्कि अमेरिका में इन उत्पादों की कीमत बढ़ने से उपभोक्ताओं को भी ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा.
चीन ने दिया संकेत
ऐसे में चीन ने संकेत देते हुए कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार है. प्राप्त जानकारी के अनुसार ट्रंप प्रशासन का रुख अभी कड़ा है. लेकिन ट्रंप ने पहले भी कहा था और अब भी कहा था कि उनका प्राथमिक लक्ष्य अमेरिकी उद्योग और रोजगार की सुरक्षा है और इसके लिए वे किसी भी कदम को तैयार हैं.
दोनों देशों के बीच हो सकते हैं कई समझौते
इस दौरान अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि अगले हफ्ते होने वाली बैठक में कुछ समझौते हो सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से कुछ कह नही सकते. यदि बैठक सफल रहती है, तो आने वाले समय में अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव कम हो सकता है.
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