Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीव्यासजी के वचन रूप सरोवर में महाभारत रूप कमल खिला है और महाभारत रूप कमल की जो सुगंध है, सुरभि है, उत्कट गंध है उसका नाम ही गीता है।
किसी को दान दिया है तो दान लेने वालों की जिम्मेदारी बनती है कि उनका सही उपयोग करे। मगर जिनको दान दिया है उनकी परीक्षा करते रहना ठीक नहीं है। इससे दान की महिमा कम होती है। चिंता जरूर करो लेकिन निंदा न करो।
जो संपत्ति देते हैं उससे भी महान वह हैं जो समय देते हैं और उससे भी महान हैं जो संतति देते हैं, केवल रूपये पैसे से संस्थाएं नहीं चलती, रुपये से बढ़कर है संस्था के प्रति समर्पित कार्य करना। हे जीव तू अपने अंदर ही देख।


