अपनी आत्मा के विवेक रूपी धन को लूटने के लिए तैयार बैठी इन्द्रियों से हमेशा रहें सावधान: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कथा में सुने हुए को यदि हम कार्य रूप में परिणत करें, तभी उसकी सार्थकता है। रास्ते में पड़े हुए हड्डी के टुकड़े से अपने-आपको बड़ी सावधानी से बचाने वाला मनुष्य चमड़े से मढ़ी हुई हड्डियों का स्पर्श करने के लिए कितना पागल हो जाता है।
इस शरीर में आड़ी-तिरछी हड्डियां जमाई गई है और मांस-पिण्ड रखकर उन्हें नाड़ियों से बांधा गया है। बाद में ऊपर से सुन्दर चमड़े का आवरण चढ़ाया गया है। इस शरीर से निकलने वाले किसी भी पदार्थ को देखने के लिए मन तैयार नहीं होता, फिर भी उसके स्पर्श के लिए मन कितना अधिक पागल हो जाता है।
याद रखो, यह इन्द्रियां चोर से भी ज्यादा खतरनाक है। चोर जिसके घर रहता है, उसके यहां तो कम से कम चोरी नहीं ही करता है, किन्तु इन्द्रियां आत्मा के घर में रहकर भी उसका विवेक रूपी धन लूट लेती हैं और उसे गर्त में गिरा देती हैं।
अतः अपनी आत्मा के विवेक रूपी धन को लूटने के लिए तैयार बैठी इन्द्रियों से हमेशा सावधान रहो। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।
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