Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सद्गति पुत्र से नहीं, स्वयं के सत्कर्मों से प्राप्त होती है। पुत्र होने पर ही सद्गति प्राप्त होती है- यह बात ठीक नहीं है।आज पाण्डवों का वंश भी नहीं रहा और नरसी मेहता के वंश का दीपक तो उनकी हाजिरी में ही वुझ गया था, तो क्या ये अवगति को प्राप्त हुए हैं? क्या हम यह कह सकते हैं कि इन सबकी सद्गति नहीं हुई?
आज भगवान रामचन्द्र का सूर्यवंश और भगवान श्री कृष्ण का चन्द्रवंश भी प्रगट रूप से नहीं रहा। तो क्या उनकी अवगति हुई होगी? हम सब जानते हैं कि ऐसा हो ही नहीं सकता। तो फिर पुत्र प्राप्ति के लिए हममें इतना पागलपन क्यों? जब हमें अपना उद्धार स्वयं ही करना है तो फिर पुत्र के द्वारा उद्धार करने की आशा ही क्यों रखी जाये।
आज के वातावरण में पलने वाले लड़के श्रद्धा तक करने वाले नहीं, फिर वे किसी का उद्धार क्या करेंगे। इसलिए आज से ही स्वयं का उद्धार स्वयं को ही करना है- इस बात का संकल्प करो। कई बार परमात्मा बालक के मुख से बोलता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।