कहीं आप भी तो नहीं हो रहे ‘Fat Wallet Syndrome’ के शिकार? जानें कैसे प्रभावित होती है आपकी रीढ़ और कमर!

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Fat Wallet Syndrome: ज्यादातर लोगों को वॉलेट अपनी पैंट की पिछली जेब में रखना पसंद होता हैं. यह आदत छोटी और मामूली लगती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही रोजमर्रा की आदत आपके शरीर के लिए हानिकारक भी साबित हो सकती है? अक्सर हम यह सोचते भी नहीं कि हमारी छोटी-छोटी आदतें हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती हैं. वैज्ञानिकों के कई शोधों में यह सामने आया है कि पिछली जेब में वॉलेट रखना शरीर के संतुलन और रीढ़ की हड्डी की संरचना को प्रभावित कर सकता है.

रीढ़ की हड्डी पर गहरा असर

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, हम जब पिछली जेब में वॉलेट डालकर बैठते हैं, तो एक कूल्हा थोड़ा ऊपर उठ जाता है. पहली नजर में यह मामूली बात लग सकती है. लेकिन, इसका असर हमारी रीढ़ की हड्डी पर काफी गंभीर होता है. असमान बैठने की वजह से रीढ़ धीरे-धीरे एक तरफ झुकने लगती है. यह मामूली सा झुकाव समय के साथ रीढ़ की सही संरचना को बिगाड़ सकता है.

जब शरीर का वजन सही तरीके से बराबर नहीं बंटता, तो कूल्हे, कमर और रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. यह असंतुलन सिर्फ बैठने के दौरान ही नहीं, बल्कि चलने-फिरने और खड़े होने की पोजीशन को भी प्रभावित करता है.

पीठ दर्द, मांसपेशियों में होता है खिंचाव

इसी कारण से लंबे समय तक इस आदत को बनाए रखने वालों को पीठ और कमर दर्द की शिकायतें ज्यादा होती हैं. साथ ही, मांसपेशियों में खिंचाव और नसों के दबाव के कारण साइटिका जैसे गंभीर दर्द भी हो सकते हैं. इसे मेडिकल भाषा में ‘फैट वॉलेट सिंड्रोम’ कहा जाता है, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है. जितना मोटा और भारी आपका वॉलेट होगा, उतना ही ज्यादा दबाव शरीर पर पड़ेगा, जिससे समस्या और बढ़ सकती है.

चलने-फिरने में होती है दिक्कत

जब रीढ़ की हड्डी और पेल्विस ठीक से संतुलित नहीं होते, तो यह पूरे शरीर की मुद्रा और चलने-फिरने की आदतों पर असर डाल सकता है. कमर में दर्द और मांसपेशियों की खिंचाव धीरे-धीरे रोजमर्रा की जिंदगी को कठिन बना देते हैं. यह समस्या सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं है; जवान लोग, खासकर जो ऑफिस में लंबे समय तक एक ही जगह बैठते हैं, इससे आसानी से प्रभावित हो सकते हैं.

पोजीशन बदलते रहें

इस आदत से बचना बहुत जरूरी है. आप चाहे तो वॉलेट को आगे की जेब में रख सकते हैं या फिर बैग या पर्स का इस्तेमाल करें, ताकि आपकी पीठ और कमर पर अनावश्यक दबाव न पड़े. नियमित रूप से अपनी बैठने की पोजीशन बदलें और बीच-बीच में स्ट्रेचिंग करें, इससे इस समस्या से बचा जा सकता है. डॉक्टर भी यही सलाह देते हैं कि वॉलेट हमेशा हल्का और पतला रखें, ताकि आपकी पीठ और कूल्हे पर ज्यादा दबाव न पड़े.

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