Kanpur : वर्तमान में कानपुर अब लंदन, मुंबई और नोएडा की तर्ज पर हाईराइज इमारतों का गढ़ बनने की राह पर है. बता दें कि कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) ने अपनी भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के प्रारूप में सड़कों के किनारे 60 मंजिल तक ऊंची इमारतों के निर्माण की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा है. इसके साथ ही 45 मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर डेवलपर्स को असीमित ऊंचाई की बिल्डिंग्स बनाने की छूट होगी. इसका मुख्य कारण यह है कि कानपुर को स्मार्ट और हाइट सिटी के रूप में स्थापित करना.
KDA के नई नीति के प्रमुख प्रावधान
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में ऊंची इमारतों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए स्पष्ट नियम तय किए गए हैं. कहा जा रहा है कि अगर सड़क की चौड़ाई 24 मीटर है, तो वहां 60 मंजिल तक की इमारतें बनाई जा सकेंगी. बता दें कि इस मामले को लेकर KDA ने सख्त प्रावधान किए हैं. हर ऊंची इमारत के लिए फायर सेफ्टी, पार्किंग व्यवस्थ और ट्रैफिक प्लानिंग के साथ और भी कई अन्य चीजों का पालन अनिवार्य होगा. बताया गया है कि इन मानकों को पूरा किए बिना किसी भी निर्माण को मंजूरी नहीं दी जाएगी.
कानपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के रूप में बड़ा कदम
ऐसे में इस मामले को लेकर KDA के मुख्य नगर नियोजक मनोज कुमार का कहना है कि यह नीति कानपुर को आधुनिक और स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. उनका कहना है कि हमने सुरक्षा और सुविधा को प्रायोरिटी दी है ताकि शहर का विकास व्यवस्थित तरीके से हो.
इस प्रकार है नियमों का सार
- 24 मीटर चौड़ी सड़क के साथ 60 मंजिल तक की बिल्डिंग्स को अनुमति.
- 45 मीटर चौड़ी सड़क: असीमित ऊंचाई की इमारतें बनाने की छूट.
- सामान्य से दोगुना.
- सेफ्टी स्टैंडर्ड: फायर सेफ्टी, पार्किंग, और ट्रैफिक प्लानिंग का पालन अनिवार्य.
रियल एस्टेट के लिए साबित होगी गेम-चेंजर
बता दें कि KDA की यह नीति शहर के रियल एस्टेट सेक्टर के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है. इस दौरान एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऊंची इमारतों की अनुमति से आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं को बढ़ावा मिलने के साथ शहर की स्काइलाइन भी बदल जाएगी. हालांकि, स्थानीय निवासियों और पर्यावरण एक्सपर्ट्स ने ट्रैफिक, जलापूर्ति, और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता जताई है.
मंजूरी मिलने के बाद नियम होंगे लागू
जानकारी देते हुए बता दें कि KDA की भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2025 का प्रारूप तैयार हो चुका है, इसके साथ ही इसे शासन की मंजूरी के लिए भेजा गया है. कहा जा रहा है कि मंजूरी मिलने के बाद यह नियम लागू हो जाएंगे और शहर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी नई पहचान बनाएगा.