America Protests: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गाजा युद्ध रूकवाने के बाद अब रूस-यूक्रेन जंग पर फोकस कर रहे है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि एक ओर वो जहां कई देशों के जंग को रूकवाने का काम कर रहे है, वहीं खुद उनके ही देश के कई इलाकों में उनकी ही नीतियों के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतरने वाले है.
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को पूरे अमेरिका में हजारों स्थानों पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठा होने जा रहे हैं, जिनका मकसद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से उठाए जा रहे उन कदमों के खिलाफ आवाज उठाना है, जिन्हें कई लोग देश में बढ़ते तानाशाही जैसे रुझानों के रूप में देख रहे हैं.
2,500 से ज्यादा विरोध प्रदर्शन
बता दें कि देश में होने वाला यह प्रदर्शन ‘नो किंग्स’ नाम से आयोजित होने वाला दूसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन है और इस साल ट्रंप प्रशासन के खिलाफ होने वाला तीसरा राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन है. आयोजकों का कहना है कि इस बार अमेरिका के 50 राज्यों में 2,500 से ज्यादा विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे. इनमें सबसे बड़ा रैली कार्यक्रम वॉशिंगटन डी.सी. में होगा.
देश के हर कोने में होगा प्रदर्शन
अमेरिका के इलाकों यह विरोध प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहा है जब संघीय अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें देश के कई हिस्सों में बढ़ रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ रूढ़िवादी (conservative) नेताओं ने इन प्रदर्शनों की आलोचना करते हुए इन्हें हेट अमेरिका रैलियां करार दिया है, जबकि कई इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के रूप में देख रहे हैं. बता दें कि ये विरोध प्रदर्शन देश के लगभग हर कोने में आयोजित किए जाएंगे. न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहरों से लेकर मोंटाना के ईस्ट ग्लेशियर रिज जैसे एरिया तक.
क्यों हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
रिपोर्ट के मुताबिक, मूवऑन (MoveOn) संगठन, जो लगभग 300 संगठनों के उस गठबंधन का हिस्सा है जो इस विरोध आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं उसके मुख्य संचार अधिकारी जोएल पेन ने कहा, अमेरिकी जनता अब ऐसे मुकाम पर पहुंच चुकी है, जहां उन्हें लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप इस देश के बुनियादी लोकतांत्रिक नियमों का सम्मान नहीं करते. चाहे वो सत्ता के संतुलन की बात हो, अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा की बात हो या उन मौलिक अधिकारों की बात.
अमेरिका का कोई राजा नहीं, न अभी न कभी…
उन्होंने आगे कहा कि यह जरूरी है कि हम यह साफ संदेश दें कि अमेरिका में कोई राजा नहीं होता- न अभी, न कभी. जोएल पेन के अनुसार, यह प्रदर्शन इस बात पर जोर देता है कि अमेरिका एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहां सत्ता संविधान, कानून और जनता की इच्छा के तहत होती है- न कि किसी व्यक्ति के निजी अधिकार में. इस नारे No Kings के जरिए प्रदर्शनकारी यह जताना चाहते हैं कि वो किसी भी तरह की तानाशाही का विरोध करेंगे.
ट्रंप की किन नीतियों के खिलाफ लोग?
बता दें कि अमेरिका में ट्रंप जिन नीतियों पर प्रदर्शन हो रहा है, उसमें राष्ट्रपति की इमीग्रेशन नीति, प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदियां, अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बदले की कार्रवाई आदि शामिल है. प्रदर्शनकर्ताओं का कहना है कि अगर इन कदमों का विरोध नहीं किया गया, तो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बड़ा नुकसान हो सकता है.
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