भारत और ओमान ने अपने द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों को नई ऊंचाई देने के लिए समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता दोनों देशों के लंबे और ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करेगा तथा आने वाले समय में आर्थिक सहयोग को तेज करने का आधार बनेगा. इसके जरिए भारत को विशेष रूप से खाड़ी क्षेत्र में अपने निर्यात बाजार का विस्तार करने का अवसर मिलेगा.
300 सालों का व्यापारिक संबंध
भारत और ओमान के बीच व्यापारिक संबंधों की जड़ें 200-300 वर्ष पुरानी हैं, जहां दोनों देशों में व्यापारी समुदाय पीढ़ियों से सक्रिय रहे हैं. CEPA इसी विरासत पर आधारित है और भारत-ओमान आर्थिक साझेदारी को व्यापक और गहरा बनाने की क्षमता रखता है. यह समझौता भारत की व्यापक व्यापार रणनीति के अनुरूप भी है. हाल के वर्षों में भारत ने अपने निर्यात बाजारों का विस्तार करने और चुनिंदा क्षेत्रों पर निर्भरता घटाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं. ओमान के साथ किया गया CEPA इसी रणनीति को खाड़ी क्षेत्र तक आगे बढ़ाता है, जो न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
पश्चिम एशिया-अफ्रीका के लिए प्रवेश द्वार
भारत ओमान को केवल एक व्यापारिक साझेदार नहीं, बल्कि पश्चिम एशिया और अफ्रीका के लिए रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में देखता है. दोनों देशों के संबंध 1955 में राजनयिक संबंधों की स्थापना से लेकर 1972 में सैन्य सहयोग प्रोटोकॉल, 2008 में रणनीतिक साझेदारी और 2010 में ओमान-भारत संयुक्त निवेश कोष के गठन तक लगातार विकसित हुए हैं. वर्ष 2024-25 में भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10.61 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें भारत का निर्यात 4.07 अरब डॉलर रहा, जो ओमान के कुल आयात का लगभग 10 प्रतिशत है।
टैरिफ लाइनों पर जीरो शुल्क
CEPA की सबसे बड़ी विशेषता टैरिफ में व्यापक छूट है। ओमान ने अपनी 98.08% टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क लागू करने पर सहमति दी है, जिससे भारत के 99.38% निर्यात को लाभ मिलेगा। इनमें से लगभग 98% टैरिफ लाइनों पर यह राहत तुरंत लागू होगी। इसका फायदा वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा, फुटवियर, खेल सामग्री, प्लास्टिक, फर्नीचर और कृषि उत्पाद जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के साथ-साथ इंजीनियरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल डिवाइस और ऑटोमोबाइल जैसे तकनीक-प्रधान क्षेत्रों को भी मिलेगा।
खाद्य निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
यह समझौता गैर-शुल्क बाधाओं को भी संबोधित करता है. दवाओं के लिए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) दस्तावेजों की मान्यता से भारतीय फार्मा निर्यातकों की लागत और समय दोनों कम होंगे. खाद्य उत्पादों के लिए आपसी मान्यता और मानकों में सहयोग से कृषि एवं खाद्य निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. ओमान अपनी लगभग 90% खाद्य जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, इसलिए यह भारत के लिए एक स्थिर और अवसरपूर्ण बाजार है। सेवा क्षेत्र में भी व्यापक संभावनाएं हैं। वर्तमान में ओमान के सेवा आयात में भारत की हिस्सेदारी 5.31% है, जो CEPA के लागू होने के बाद बढ़ने की उम्मीद है। विभिन्न सेवा क्षेत्रों में ओमान की प्रतिबद्धताएं भारतीय सेवा निर्यात को तेजी से बढ़ाने में मदद करेंगी।

