Ajab Gajab News: अंतिम संस्कार के बाद यहां शव के राख का सूप पीते हैं लोग, जानिए क्या है परंपरा

Ajab Gajab News: दुनिया में बहुत से लोग आज भी ऐसे हैं, जो सदियों पुरानी परंपराओं का पालन करते हैं. सभी के शादी और अंतिम संस्कार से जुड़े अपने अलग-अलग रिवाज होते हैं. आज हम आपको एक ऐसी जनजातियों के विचित्र रिवाज के बारे में बताएंगे जो सुनने में थोड़ा अजीब है, लेकिन सच है. ये जनजाति अपने अंतिम संस्कार की परंपरा को लेकर काफी प्रसिद्ध है. यहां के लोग दाह-संस्कार के बाद राख को सूप बनाकर पी जाते हैं. आइए जानते हैं ये परंपरा कहां की है और इसके पीछे क्या कारण है.

कौन हैं ये लोग?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये जनजाति साउथ अमेरिका (South America) के एक आदिवासी समुदाय यानोमामी (Yanomami Tribe) से आते हैं. ये अपने रिवाज और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं. ये लोग ब्राजील और वेनेजुएला के कुछ हिस्सों में रहते हैं. लोग इन्हें यानम या सेनेमा के नाम से भी जानते हैं. यहां के लोग अपनों के दाह-संस्कार के बाद बची हुई राख को सूप में मिलाकर पी जाते हैं. रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जाता है कि ये अपने मृत परिवारवालों का मांस भी खाते हैं. इनकी इस परंपरा को एंडोकैनबिलिज्म (Endocannibalism) कहा जाता है.

क्यों है ये मान्यता?
जब इनके परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती हैं, तो ये शव को कुछ दिन पत्तों से ढककर रख देते हैं. इसके बाद शरीर को जलाकर अंतिम संस्कार कर देते हैं. जब मांस और हड्डियां जलने लगती हैं तो ये इसे खाते भी हैं. इसके अलावा जब पूरा शरीर जल जाता है तो इस जनजाति के लोग उस राख को केले से बने एक सूप में डालकर पी जाते हैं. वह इस प्रक्रिया को करते वक्त रोते हैं और शोक मनाने वाली गीत भी गाते हैं. वह इस परंपरा का पालन सदियों से करते आ रहें हैं.

क्यों करते हैं ऐसा?
हर धर्म और समुदाय के लोग किसी की मृत्यु होने पर, आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और अपना रिवाज निभाते हैं. यानोमामी जनजाति के लोगों का मानना है कि इस प्रक्रिया को करने से मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है. जब परिवार वाले उनके अंश के आखिरी हिस्से को खा जाते हैं तो उसकी आत्मा की रक्षा होती है.

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