भक्ति भावना की विजय का महोत्सव है होली: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, होली का त्यौहार भक्ति भावना का त्यौहार है। सनातन धर्म में वर्ष के सभी दिन उत्सव के हैं। तीन सौ पैंसठ दिन है और इससे भी कई गुना ज्यादा उत्सव है। हम पंचांग में देखते हैं तो एक दिन में दो तीन उत्सव होता है। जिनमें चार उत्सव प्रधान हैं। रक्षाबंधन, विजयदशमी, दीपावली और होली। इसमें होली उत्सव का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भक्ति भावना की विजय का महोत्सव है।

भक्त प्रहलाद की भक्ति भावना से शीतल हो गई अग्नि

भक्त प्रहलाद को अग्नि में जलाना चाहता था हिरण्यकश्यपु लेकिन भक्त प्रहलाद की भक्ति भावना से अग्नि शीतल हो गई, प्रहलाद जी के लिए अग्नि शीतल हो गई, एक दिन पहले होलिका दाह, और दूसरे दिन भक्तों ने भक्त शिरोमणि प्रहलाद जी की भक्ति भावना की विजय का उत्सव है। होली का त्यौहार सतयुग का त्यौहार हैं भक्तों को बड़े श्रद्धापूर्वक मनाना चाहिए। प्रारम्भ में होली महोत्सव मनाया गया, होली की महिमा और भक्त प्रहलाद जी का स्मरण किया गया। भागवत कथा में श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह की कथा का गान किया गया और उत्सव भी मनाया गया।
भगवान कहां ? भक्त की जहां हां भगवान वहां। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर(राजस्थान).
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