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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत के कथा प्रसंगों से मानव मात्र को भक्ति की सीख- उत्तरा के गर्भ का नाश करने के लिए अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा। उत्तरा प्रभु के शरण में आई और प्रभु ने सुदर्शन से ब्रह्मास्त्र का निवारण किया। इस तरह प्रभु ने परीक्षित की गर्भ में रक्षा की। हम सब परीक्षित ही हैं। हमारी रक्षा भी परमात्मा ही करते हैं। बालक की रक्षा मां-बाप नहीं, बल्कि भगवान करते हैं।
बीमार की रक्षा डॉक्टर नहीं, बल्कि ईश्वर करते हैं। डॉक्टर में यदि बीमार की रक्षा करने की शक्ति होती तो स्वयं उसकी ही अर्थी क्यों निकलती? इसलिए मनुष्य में तो किसी की रक्षा करने की शक्ति नहीं है। वह तो स्वयं ही काल का ग्रास है, फिर दूसरों को वह क्या बचाएगा। किसी भी प्रकार का सत्कर्म किए बिना जो खाता है, वह पाप को ही खाता है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).