जो मनुष्य जीवन अच्छे ढंग से नहीं जीता, उसी को होती है घबराहट: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  बृजवासी गोप गोपियां वस्त्र सन्यासी नहीं बल्कि भक्ति सन्यासी थे। उनका हृदय हरिमय था। वह यदि घर का काम करते थे तो भी श्रीराधाकृष्ण स्मरण में डूब कर करते, श्रृंगार भी करते थे तो प्रभु को प्रसन्न करने के लिए ही करते थे। कम-से-कम संसार के सुख की कामना करते थे।बृजवासियों के श्रृंगार में भी विकार या वासना का नहीं, अपितु भक्ति की पुष्टि के लिए था।

निर्विकार रूप से किया गया श्रृंगार भी प्रभु की भक्ति ही है। गोप गोपी बृजवासी प्रत्येक भक्तगण का व्यवहार भक्तिमय था। भक्ति और व्यवहार को अलग-अलग मत मानो, अन्यथा भक्ति केवल ऊपरी-ऊपरी होगी, तथा व्यवहार अशुद्धि रहेगा। जो मनुष्य जीवन अच्छे ढंग से नहीं जीता, गलत रास्ते पर चलता है,जीवन के हिसाब में घोटाला करता है, उसी को घबराहट होती है।

सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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